उदारीकरण का अभिप्राय अर्थव्यवस्था पर प्रशासनिक नियन्त्रण को धीरे-धीरे शिथिल करते हुए अन्तत: उन्हें समाप्त कर देने से है। यह आर्थिक कार्यकरण में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध है। यह विरोध मूलतः दो मान्यताओं पर आधारित है—प्रथम, सरकारी हस्तक्षेप प्रतियोगिता को कुंठित करता है, कुशलता को घटाता है और उत्पादन लागतों को बढ़ाता है, जिससे अर्थव्यवस्था अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता करने में शिथिल पड़ जाती है। दूसरे, सरकारी नियन्त्रणों के कारण संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग नहीं हो पाता, जिससे मात्रा एवं गुणवत्ता दोनों ही दृष्टियों से उत्पादन पिछड़ जाता है। भारत में यह प्रक्रिया औद्योगिक नीति सन् 1991 ई० से अपनाई जा रही है।