नातेदारी की श्रेणियों से अभिप्राय नातेदारों में परस्पर संबंधों की निकटता से है अर्थात् कोई नातेदार किसी व्यक्ति का कितना नजदीकी अथवा दूर का नातेदार है। नातेदारी को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जाता है-
⦁ प्राथमिक नातेदार–जिन रिश्तेदारों के साथ हमारा प्रत्यक्ष वैवाहिक या रक्त संबंध होता है, उन्हें हम प्राथमिक नातेदार कहते हैं। प्राथमिक नातेदारों में आठ संबंधियों को सम्मिलित किया जाता है। ये हैं–पति-पत्नी, पिता-पुत्र, माता-पुत्री, पिता-पुत्री, माता-पुत्र, छोटे-बड़े भाई, छोटी-बड़ी बहन तथा भाई-बहन। ये वे प्रत्यक्ष संबंधी हैं जिनके साथ हमारा घनिष्ठ संबंध है।
⦁ द्वितीयक नातेदार—इसमें हम उन रिश्तेदारों को सम्मिलित करते हैं जो हमारे प्राथमिक नातेदारों के प्राथमिक संबंधी होते हैं। ये संबंधी हमसे प्राथकमिक संबंधियों द्वारा संबंधित होते हैं। उदाहरणार्थ-बहनाई-साले में संबंध, दादा-पोते में संबंध, चाचा-भतीजे में संबंध, देवर-भाभी में संबंध इस श्रेणी के संबंधों के उदाहरण हैं। मरडोक (Murdock) ने 33 प्रकार के द्वितीयक नातेदार बताए हैं।
⦁ तृतीयक नातेदार–इस श्रेणी में उन नातेदारों को सम्मिलित किया जाता है जो हमारे द्वितीयक संबंधियों के प्राथमिक संबंधी हैं अर्थात् हमारे प्राथमिक संबंधियों के द्वितीयक संबंधी हैं। उदाहरणार्थ-साले की पत्नी, साले का लड़का, पड़दादा हमारे तृतीयक नातेदार हैं। मरडोक ने 151 ऐसे संबंधियों का उल्लेख किया है।
इसी प्रकार हम चातुथिक, पांचमिक इत्यादि संबंधों की चर्चा करते हैं।