समाजीकरण का अर्थ सीखने की उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा व्यक्ति को एक सामाजिक प्राणी बनाया जाता है तथा जिससे वह सांस्कृतिक मूल्यों का आंतरीकरण करता है। बच्चे का सामाजीकरण अनेक अभिकरणों एवं संस्थाओं द्वारा किया जाता है जिनमें वह भाग लेता है। परिवार, विद्यालय, समकक्ष समूह, पड़ोस, व्यावसायिक समूह तथा सामाजिक वर्ग/जाति, धर्म आदि ऐसे ही प्रमुख अभिकरण हैं। पहले कभी परिवार को समाजीकरण का प्रमुख माध्यम माना जाता था। यद्यपि आज भी समाजीकरण में परिवार को अत्यंत महत्त्व है, तथापि जन माध्यमों को आज समाजीकरण का सबसे प्रभावी अभिकरण माना जाने लगा है। इन माध्यमों में टेलीविजन प्रमुख है। बच्चा माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों तथा समकक्ष समूह से बहुत-सी बातों को सीखता ही है, टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले कार्टूनों एवं बच्चों के लिए कार्यक्रमों का भी उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बहुत-से शब्द, खान-पान के ढंग एवं बातचीत के तरीके आज बच्चे टेलीविजन के माध्यम से सीखने लगे हैं। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों द्वारा टेलीविजन देखने पर व्यय किया गया समय एक साल में एक सौ स्कूली दिवसों के समान है तथा इसमें बड़े भी पीछे नहीं हैं। टेलीविजन के परदे पर हिंसा तथा बच्चों के बीच आक्रमण व्यवहार में संबंध की पुष्टि भी अनेक अध्ययनों से हुई है।