Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
579 views
in Sociology by (55.1k points)
closed by

फ्रांसीसी क्रांति अथवा औद्योगिक क्रांति किस प्रकार के परिवर्तन लेकर आई? क्या ये परिवर्तन इतने तीव्र अथवा दूरगामी थे कि ‘क्रांतिकारी परिवर्तन के योग्य हो सकें?

1 Answer

+1 vote
by (52.9k points)
selected by
 
Best answer

पूरे विश्व की कायापलट करने वाली प्रक्रियाओं में फ्रांसीसी क्रांति तथा औद्योगिक क्रांति का प्रमुख स्थान है। इन दोनों के द्वारा होने वाले परिवर्तनों का संबंध समाज के किसी एक क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था। सभी क्षेत्रों पर इनके दूरगामी प्रभावों के कारण ही इनसे होने वाले परिवर्तनों को ‘क्रांतिकारी परिवर्तन’ कहा जाता है।

अठारहवीं शताब्दी में फ्रांस में निरंकुश और स्वेच्छाचारी सम्राटों का शासन था। उस समय सामन्तों तथा उच्च पादरियों को विशेषाधिकार प्राप्त थे। वे लोग वैभवपूर्ण तथा ऐश्वर्य का जीवन व्यततीत करते थे, लेकिन जनसाधारण वर्ग की दशा बड़ी शोचनीय थी और उसका जीवन कष्टों से भरपूर था। इसके परिणामस्वरूप 1789 ई० में फ्रांस में एक खूनी क्रांति हुई, जिसने शीघ्र ही भीषण रूप धारण कर लिया। फ्रांस में निरंकुश राजतंत्र का अंत करके लोकतांत्रिक शासन की स्थापना की गई। इस क्रांति में फ्रांस का सम्राट लुई सोलहवाँ, उसकी रानी मेरी अंतायनेत और उनके हजारों साथियों को गुलोटिन द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया। इस क्रांति के कारण 25 वर्ष तक संपूर्ण यूरोप युद्ध की आग में जलता रहा। हजारों नगर बरबाद हो गए और लाखों व्यक्ति मारे गए। यह संपूर्ण रक्तपात, जो बास्तील के पतन (14 जुलाई, 1789 ई०) से आंरभ हुआ और वाटरलू के युद्ध (18 जून, 1815 ई०) के बाद समाप्त हुआ, फ्रांस की क्रांति का घटनाक्रम कहलाता है।

फ्रांस की क्रांति विश्व की एक महानतम घटना थी। इसके बड़े दूरगामी परिणाम हुए। इनमें सदियों से चली आ रही यूरोप की पुरातन व्यवस्था (Ancient Regime) का अंत, मध्यकालीन समाज की सामंती व्यवस्था का अंत, मानव जाति की स्वाधीनता के लिए ‘मानव और नागरिकों के जन्मजात अधिकारों की घोषणा’ (27 अगस्त, 1789 ई०), सारे यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना का विकास और प्रसार, धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा का विकास, लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन, मानव जाति को स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा प्रदान किया जाना, इंग्लैंड, आयरलैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों की विदेशी नीति का प्रभावित होना, समाजवादी व्यवस्था का मार्ग खोलना तथा कृषि, उद्योग, कला, साहित्य, राष्ट्रीय शिक्षा तथा सैनिक गौरव के क्षेत्र में होने वाली अभूतपूर्व उपलब्धियाँ प्रमुख हैं।

फ्रांस की क्रांति की भाँति, इंग्लैंड में अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में उत्पादन की तकनीक और संगठन में आश्चर्यजनक परिवर्तन से प्रारंभ हुई। औद्योगिक क्रांति ने भी बड़े पैमाने के उद्योगों का सूत्रपात किया। इसके परिणामस्वरूप हुए परिवर्तनों को क्रान्तिकारी परिवर्तन’ कहा जाता है। इस क्रांति से नए समाज का जन्म हुआ। समाज में प्रचलित रीति-रिवाज, रहन-सहन का स्तर, खान-पान, धार्मिक विश्वास, विज्ञान तथा साहित्य आदि के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए जिससे एक नए समाज का प्रादुर्भाव हुआ। न केवल मनुष्य को अपना जीवन बिताने में अधिक सुख तथा सुविधा प्राप्त हुई, अपितु संयुक्त परिवार समाप्त होने प्रारंभ हो गए तथा उनका स्थान पर छोटे-छोटे परिवारों ने ले लिया। महिलाओं को भी स्वतंत्र प्राप्त हुई। उन्हें समान अधिकार मिलने प्रारंभ हुए तथा वे स्वावलंबन की ओर आगे बढ़ने लगीं। मध्यम वर्ग का उदय भी औद्योगिक क्रांति का ही परिणाम माना जाता है। औद्योगिक क्रांति ने उद्योगों में कार्य करने वाले मजदूरों का जीवन बड़ा संकटमय बना दिया। उनको न केवल वेतन कम दिया जाता था अपितु उनके जीवन की सुरक्षा की चिंता पूँजीपतियों को नहीं थीं।

लोगों के रहन-सहन के स्तर में वृद्धि, वर्ग-संघर्ष को उदय, औद्योगिक नगरों का विकास, घरेलू उद्योग-धंधों का विनाश भी औद्योगिक क्रांति के दूरगामी प्रभाव रहे हैं। औद्योगिक क्रांति ने जहाँ एक ओर लोगों के लिए रोजगार के मार्ग खोले वहीं दूसरी ओर बेरोजगारों की संख्या में भी वृद्धि होने लगी। मशीनों के लग जाने के कारण कारखानों में कार्य करने वाले श्रमिको की संख्या घटने लगी। आर्थिक दृष्टि से संसार के सभी राष्ट्रों में परस्पर निर्भरता की ऐसी लहर दौड़ी कि वे औद्योगिक क्षेत्र में तेजी से दौड़ लगाने लगे। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप कारखानों में बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा; अत: यूरोप के देशों ने उत्पादित माल के खपाने तथा कच्चा माल प्राप्त करने के लिए उपनिवेश स्थापित करने शुरू कर दिए। इससे साम्राज्यवादी नीति को बढ़ावा मिला। इन सब परिवर्तनों के कारण ही औद्योगिक क्रांति के परिणामों को ‘क्रांतिकारी परिवर्तनों की संज्ञा दी गई है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...