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अनवधान या ध्यान-भंग से क्या आशय है? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों द्वारा आयोजित अनवधान सम्बन्धी परीक्षणों तथा उनसे प्राप्त होने वाले निष्कर्षों का सामान्य विवरण प्रस्तुत कीजिए।

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अनवधान या ध्यान-भंग का अर्थ
अवधान या ध्यान की स्थिति में किसी प्रकार की बाधा का उत्पन्न हो जाना ही अनवधान या ध्यान-भंग है। अवधान में किसी बाधात्मक कारक का प्रभाव पड़ना ही अनवधान है। अनवधान की दशा में व्यक्ति का ध्यान अपने विषय से हटकर कहीं ओर चला जाता है। ध्यान में बाधा पड़ जाना ही अनवधान है। सामान्य रूप से कोई प्रबल कारक ही व्यक्ति के ध्यान को भंग करता है। यह कारक कोई प्रबल उद्दीपक हो सकता है। इस प्रकार के बाधात्मक कारक को ध्यान-भंजक कहते हैं।

अनवधान सम्बन्धी परीक्षण तथा अनेक निष्कर्ष
अनवधान या ध्यान-भंग अपने आप में एक असामान्य स्थिति है तथा व्यक्ति के कार्यकलापों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अनवधान सम्बन्धी विभिन्न परीक्षणों का आयोजन किया तथा महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष प्राप्त किये हैं। इस प्रकार के मुख्य परीक्षणों तथा प्राप्त निष्कर्षों का विवरण निम्नलिखित है –

(1) मॉर्गन द्वारा किया गया प्रयोग तथा प्राप्त निष्कर्ष – अनवधान अथवा ध्यान-भंग के विषय में व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए मार्गन ने एक परीक्षण आयोजित किया। इस परीक्षण के अन्तर्गत उसने टाइप का कार्य करने के लिए दो प्रयोज्यों का चयन किया। इस कार्य के लिए पहले पूर्ण रूप से शान्त वातावरण उपलब्ध कराया गया तथा बाद में ऐसे वातावरण में टाइप का कार्य करवाया गया जिसमें अवधान-भंग करने वाले कारक विद्यमान थे।

इस परीक्षण का सूक्ष्म निरीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि कार्य करते समय यदि ध्यान में बाधक कोई कारक प्रबल हो जाता है तो तुरन्त व्यक्ति की कार्य करने की दर घट जाती है, परन्तु जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, वैसे-वैसे व्यक्ति की कार्य करने की दर में क्रमशः वृद्धि होने लगती है तथा बाद में अवधान-भंजक कारक के होते हुए भी व्यक्ति सामान्य गति से कार्य करने लगता है। इस परीक्षण के आधार पर मॉर्गन ने एक निष्कर्ष भी प्राप्त किया जोकि सामान्य के विपरीत था। यदि किसी व्यक्ति को प्रबल अवधान-भंजक कारक की उपस्थिति में पर्याप्त समय तक कार्य करने का अभ्यास हो और यदि उसे एकाएक पूर्ण रूप से शान्त वातावरण उपलब्ध करा दिया जाए तो इस परिवर्तित दशा में भी व्यक्ति की कार्य करने की दर घट जाती है।

(2) स्मिथ द्वारा किया गया प्रयोग एवं प्राप्त निष्कर्ष – स्मिथ नामक मनोवैज्ञानिक ने अनवधान सम्बन्धी एक प्रयोग के अन्तर्गत कुछ विषय-पात्रों को अंकों की जाँच को कार्य सौंपा तथा इस दौरान किसी प्रबल ध्यान-भंजक कारक का पदार्पण किया गया। इस प्रयोग के अन्तर्गत जो निष्कर्ष प्राप्त हुए वे इस प्रकार थे-ध्यान-भंजक कारक की उपस्थिति में अर्थात् अनवधान की दशा में व्यक्ति ने अपना कार्य सामान्य से कुछ तीब्र गति से पूरा कर लिया, परन्तु कार्य में होने वाली त्रुटियाँ सामान्य दशा में होने वाली त्रुटियों से कुछ अधिक थीं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अनवधान की दशा में व्यक्ति की कार्य-कुशलता घट जाती है।

(3) केण्डरिक पैरेसे द्वारा किया गया प्रयोग एवं प्राप्त निष्कर्ष – केण्डरिक पैरेसे ने ध्यान-भंजक कारक के प्रभाव को जानने के लिए एक प्रयोग आयोजित किया। उसने चुने हुए विषय-पात्रों को कोई विषय पढ़ने का कार्य सौंपा तथा वहाँ पहले कोई साधारण गीत बजवाया तथा फिर किसी अत्यधिक लोकप्रिय संगीत को बजवाया। इस परीक्षण के दौरान पाया गया कि साधारण गीत बजने की दशा में सम्बन्धित व्यक्तियों की पढ़ने की क्रिया पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, परन्तु लोकप्रिय संगीत बजने की दशा में पढ़ने की क्रिया पर किसी प्रकार प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया।

(4) फोर्ड द्वारा किया गया प्रयोग तथा प्राप्त निष्कर्ष – फोर्ड ने अपने विषय-पात्रों से पहले विभिन्न कार्य साधारण परिस्थितियों में करवाये तथा बाद में उन्हीं कार्यों को किसी ध्यान-भंजक कारक की उपस्थिति में करवाया। इस परीक्षण के आधार पर फोर्ड ने अनवधान की दशा में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का उल्लेख किया। उसने बताया कि ध्यान-भंजक कारकों की प्रबलता की दशा में व्यक्ति की पेशीय गतियों में उल्लेखनीय वृद्धि हो जाती है।

(5) होवे द्वारा किया गया प्रयोग तथा प्राप्त निष्कर्ष – होवे ने भी एक परीक्षण का आयोजन किया तथा विषय-पात्र से पहले शान्त दशाओं में कार्य करवाया तथा इसके उपरान्त ध्यान भंजक कारक की उपस्थिति में कार्य करवाया। दोनों दशाओं का विश्लेषण करने से ज्ञात हुआ कि अनवधान की अवस्था में उत्पादन की दर में कुछ कमी हुई।

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