अवधान मुख्यत: तीन प्रकार का होता है। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –
(1) ऐच्छिक अवधान – ऐच्छिक अवधान में व्यक्ति प्रयास करके और स्वेच्छा से किसी उत्तेजना या वस्तु की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करता है। बाजार से पसन्द की वस्तु खरीदते समय ऐच्छिक अवधान का सहारा लिया जाता है। ऐच्छिक अवधान दो प्रकार का होता है –
(अ) अविचारित अवधान – अविचारित अवधान के अन्तर्गत साधारण-सा प्रयास करके ही व्यक्ति का ध्यान केन्द्रित हो जाता है। इस प्रक्रिया में उसे अधिक विचारपूर्ण नहीं होना पड़ता।
(ब) सविचारित अवधान – सविचारित अवधान के अन्तर्गत व्यक्ति को काफी सोच-विचार की आवश्यकता होती है। वह वस्तु की ओर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रयास करता है। गणित के प्रश्नों को हल करने के लिए सविचारित अवधान चाहिए।
(2) अनैच्छिक अवधान – अनैच्छिक अवधान में किसी उत्तेजना या वस्तु की ओर व्यक्ति का ध्यान अनिच्छा से या बिना विशेष प्रयास के चला जाता है। वातावरण में होने वाला कोई धमाका हमारे ध्यान को जबरदस्ती और बिना चाहे अपनी ओर खींच लेता है। यह भी दो प्रकार का होता है
(अ) सहज अवधान – सहज अवधान में किसी वस्तु की ओर व्यक्ति का ध्यान उसकी रुचियों अथवा मूल प्रवृत्तियों के कारण आकृष्ट होता है।
(ब) बाध्य अवधान – जब हमारा ध्यान किसी उत्तेजना या वस्तु की ओर आकृष्ट होने के लिए बाध्य (विवश) हो जाए तो ऐसा अवधान, बाध्य अवधान होगा। इसके लिए उद्दीपक की प्रबल तीव्रता आवश्यक है।
(3) अनभिप्रेत अवधान – अनभिप्रेत अवधान एक विशेष प्रकार का अवधान है जिसमें व्यक्ति को विशिष्ट प्रयास की जरूरत होती है। यह अवधान ऐच्छिक होकर भी ऐच्छिक अवधान से भिन्न होता है। अनभिप्रेत अवधान के अन्तर्गत व्यक्ति किसी उत्तेजना या वस्तु पर अपनी इच्छा तथा रुचि के विरुद्ध जाकर ध्यान केन्द्रित करता है, लेकिन ऐच्छिक अवधान में व्यक्ति उस उत्तेजना या वस्तु की ओर अपनी इच्छा और रुचि के अनुकूल ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करता है। उदाहरणार्थ-माने लीजिए एक कवि अपनी इच्छा एवं रुचि के अनुकूल काव्य रचना में लगा है और उसी समय उसे किसी बीमार आदमी के लिए जरूरी तौर पर दवा लाने जाना पड़े तो कविता से हटकर उसका जो ध्यान दवाइयों की दुकान पर केन्द्रित होगा, उसे अनभिप्रेत अवधान कहेंगे।