मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्त्व
आधुनिक युग में मनोविज्ञान के अध्ययनों में सांख्यिकी का अपना एक विशिष्ट स्थान है। विभिन्न मनोवैज्ञानिक समस्याओं के अध्ययन में सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। सच तो यह है कि मनोवैज्ञानिक सांख्यिकी का प्रयोग अपनी पसन्द या नापसन्द के आधार पर नहीं करता बल्कि आँकड़ों की प्रकृति के कारण सांख्यिकी का प्रयोग उसे अनिवार्य रूप से करना पड़ता है। सांख्यिकीय विधियाँ उपकल्पना की जाँच, व्यक्तिगत विभिन्नताओं के मापन तथा जटिल मानव-व्यवहार को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सांख्यिकी के प्रयोग से मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के परिणाम निष्पक्ष, विश्वसनीय तथा वैध बन जाते हैं और उनके आधार पर भविष्यवाणियाँ करना सम्भव होता है। मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्त्व इस प्रकार है
(1) मनोविज्ञान की समस्याओं के अध्ययन में एकत्र किये गये आँकड़े जटिल, अतुलनीय एवं अस्पष्ट होते हैं। सांख्यिकीय विधियों से अव्यवस्थित समंकों को व्यवस्थित रूप में वर्गीकृत करके सारणी, चित्रों व रेखाचित्रों के माध्यम से सरल व बोधगम्य रूप से प्रदर्शित किया जाता है।
(2) मनोवैज्ञानिक प्रयोगों के सम्बन्ध में सांख्यिकी की मदद से वस्तुगत (Objective) तथा शुद्ध (Accurate) परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।
(3) सांख्यिकीय अध्ययनों से कुछ निष्कर्ष प्राप्त होते हैं जो तथ्यों की वैधानिक व्याख्या कर सकते हैं। सामान्य निष्कर्षों के निर्धारण में भी सांख्यिकी का महत्त्व है; क्योंकि ये निष्कर्ष सांख्यिकीय सूत्रों व नियमों के आधार पर निकाले जाते हैं।
(4) मनोविज्ञान से सम्बन्धित तुलनात्मक अध्ययनों में शुद्ध विश्वसनीय परिणाम निकाले जा सकते हैं। साथ ही तुलना ज्यादा सरल हो जाती है। उदाहरणार्थ-बालकों की बुद्धि की तुलना बुद्धि-लब्धि (1.2.) द्वारा सम्भव है।
(5) सांख्यिकीय अध्ययनों के आधार पर व्यवहार से सम्बन्धित निष्कर्षों के आधार मनोवैज्ञानिक पूर्वकथन या भविष्यवाणी कर सकते हैं।
(6) मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्राय: अध्ययन प्रतिदर्श (Sample) पर आधारित होते हैं। प्रतिदर्श समष्टि (Universe) का प्रतिनिधि होता है। सांख्यिकी विधियाँ प्रतिनिधित्वपूर्ण प्रतिदर्श का चयन करने में सहायक हैं।
(7) मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के निर्माण में सांख्यिकी का अत्यधिक महत्त्व है। मानसिक व शारीरिक योग्यताओं के मापन हेतु बहुत-से मनोवैज्ञानिक परीक्षण निर्मित होते हैं; उदाहरणार्थ-बुद्धि परीक्षण, व्यक्तित्व परीक्षण तथा रुचि परीक्षण आदि।
स्पष्टत: मेनोविज्ञान के क्षेत्र में सांख्यिकी का विशेष महत्त्व है।