बृहत् मापनी मानचित्रों को अग्रलिखित दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है
1. भूसम्पत्ति मानचित्र-इन मानचित्रों को क्षेत्रीय सम्पत्ति की पंजिका कहा जाता है। ये मानचित्र सरकार द्वारा विशेष रूप से भूमिकर, लगान की वसूली एवं स्वामित्व का रिकॉर्ड रखने के लिए बनाए जाते हैं। इन मानचित्रों का मापक बृहत् होता है। जैसे—गाँवों के भू-सम्पत्ति मानचित्र 1:4,000 की मापनी पर तथा नगरों के मानचित्र 1 : 2,000 और इससे अधिक मापनी पर बनाए जाते हैं।
2. स्थलाकृतिक मानचित्र-ये मानचित्र भी सामान्यतः बृहत् मापनी पर बनते हैं, जो परिशुद्ध सर्वेक्षण पर आधारित होते हैं। इन मानचित्रों को श्रृंखला के रूप में विश्व के लगभग सभी देशों की राष्ट्रीय मानचित्र एजेंसी के द्वारा तैयार किया जाता है। भारत में इनका निर्माण व प्रकाशन सर्वेक्षण विभाग, देहरादून द्वारा किया जाता है। इनका मापक 1 : 2,50,000, 1 : 50,000 तथा 1 : 25,000 होता है। इन मानचित्रों में उच्चावच, अपवाह, वनस्पति, अधिवास, सड़कें आदि भौतिक व सांस्कृतिक तत्त्वों को दर्शाया जाता है।