पारिवारिक आय का अर्थ एवं परिभाषा
परिवार हमारी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति का केन्द्र होता है।प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति के लिए धन की आवश्यकता होती है तथा धन के लिए आय का होना अनिवार्य है।
आय एक निश्चित अवधि में अर्जित की गई वह राशि है जो आर्थिक प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त होती है तथा जिसमें कुछ अन्य सुविधाएँ भी सम्मिलित होती हैं। इस प्रकार की मुख्य सुविधाएँ हैं-बिना किराए की आवास-सुविधा, नि:शुल्क शिक्षा, वाहन एवं ड्राइवर की सुविधा तथा नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा। । पारिवारिक आय को प्रो० ग्रास और क्रैन्डल ने इन शब्दों में परिभाषित किया है, “पारिवारिक आय मुद्रा, वस्तुओं, सेवाओं तथा सन्तोष का वह प्रवाह है जो परिवार के अधिकार में उसकी आबश्यकताओं और इच्छाओं को पूर्ण करने एवं उत्तरदायित्वों के निर्वाह हेतु आता है।”
प्रस्तुत परिभाषा को ध्यान में रखते हुए पारिवारिक आय का विस्तृत स्पष्टीकरण प्राप्त किया जा सकता है। परिवार की आय में मुख्य रूप से परिवार के प्रधान सदस्य द्वारा अर्जित किया जाने वाला धन सम्मिलित होता है, परन्तु उसके अतिरिक्त यदि घर के अन्य व्यक्ति भी किन्हीं साधनों से धन अर्जित करते हैं तो उसे भी पारिवारिक आय में सम्मिलित कर लिया जाता है। इसके अतिरिक्त परिवार की अपनी चल या अचल सम्पत्ति के माध्यम से भी यदि कुछ धन (मकान या दुकान का किराया, जमा धन पर ब्याज आदि) प्राप्त होता है तो उसे भी परिवार की आय में ही जोड़ा जाता है। यहाँ यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि आय केवल धनराशि के रूप में ही नहीं होती, अपितु परिवार को प्राप्त होने वाली विशेष सुविधाएँ भी पारिवारिक आय के अन्तर्गत ही आ जाती हैं। उदाहरण के लिए परिवार को प्राप्त निःशुल्क आवास, नि:शुल्क शिक्षा तथा नि:शुल्क चिकित्सा आदि सुविधाएँ भी आय का ही रूप मानी जाती हैं।
पारिवारिक आय के प्रकार
पारिवारिक आय के दो प्रकार माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय निम्नवर्णित है
(1) प्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का मुख्य रूप या प्रकार प्रत्यक्ष आय (Direct income) है। प्रत्यक्ष आय उस आय को कहा जाता है, जो परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को उनके अपने-अपने व्यवसायों के माध्यम से प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए–वेतन या व्यापार से प्राप्त होने वाली आय। इसके अतिरिक्त धन के विनियोग अर्थात् ब्याज तथा आवास या दुकान आदि का मिलने वाला किराया भी इसी प्रकार की आय में ही सम्मिलित होता है।
(2) अप्रत्यक्ष आय-पारिवारिक आय का दूसरा प्रकार या रूप है ‘अप्रत्यक्ष आय (Indirect income)। अप्रत्यक्ष पारिवारिक आय से आशय उन सुविधाओं से है जो वेतन आदि के अतिरिक्त उपलब्ध होती हैं। अप्रत्यक्ष आय धन के रूप में नहीं होती। उदाहरण के लिए कम्पनी की ओर से बिना किराये का मकान या फर्नीचर मिलना, ड्राइवर या नौकर मिलना, आने-जाने के लिए वाहन की आय, व्यय और बचत 21 सुविधा, बच्चों की नि:शुल्क शिक्षा आदि अप्रत्यक्ष आय की श्रेणी में आते हैं। कुछ परिस्थितियों में अप्रत्यक्ष आय को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस आय पर किसी प्रकार का आयकर नहीं देना पड़ता
पारिवारिक आय के मुख्य स्रोत
भिन्न-भिन्न परिवारों की आय के स्रोत भी भिन्न-भिन्न होते हैं। भारतीय समाज में पारिवारिक आये के कुछ मुख्य स्रोत निम्नलिखित हो सकते हैं
(1) परिवार के मुखिया तथा अन्य सदस्यों को प्राप्त होने वाला वेतन। यह वेतन किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी कार्यालय या संस्थान में कार्य करने के बदले में प्राप्त होता है। हमारे देश में सामान्य रूप से मासिक वेतन का प्रचलन है।
(2) पारिवारिक आय का एक स्रोत दैनिक मजदूरी भी है। कार्य या श्रम करने के बदले में प्रतिदिन मिलने वाले धन या आय को दैनिक मजदूरी कहा जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत यदि कोई श्रमिक किसी दिन कार्य नहीं करता तो उस दिन उसको कोई मजदूरी या आय प्राप्त नहीं होती है। दैनिक मजदूरी पर निर्भर रहने वाले परिवारों को निरन्तर रूप से कठोर संघर्ष करना पड़ता है।
(3) परिवार के कुछ सदस्यों (सरकारी कार्यालय से अवकाश प्राप्त) को मासिक पेन्शन भी प्राप्त होती है। इस प्रकार से प्राप्त होने वाली पेन्शन को भी पारिवारिक आय का एक स्रोत माना जाता है।
(4) व्यापार तथा व्यवसाय भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। कुछ परिवारों के सदस्य भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यापार किया करते हैं तथा व्यापार से प्राप्त होने वाला लाभ ही उनकी आय को स्रोत होता है। इससे भिन्न डॉक्टर, वकील, लेखक तथा नक्शानवीस आदि व्यवसायी होते हैं। इन्हें अपने व्यवसाय से आय प्राप्त होती है।
(5) कुछ परिवारों के लिए घरेलू उद्योग-धन्धे भी पारिवारिक आय के स्रोत होते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के घरेलू उद्योग-धन्धे अपनाए जाते हैं। कुछ घरेलू उद्योग धन्धों की परिचालन गृहिणियों द्वारा भी किया जाता है।
(6) पारिवारिक आय का एक मुख्य तथा पर्याप्त व्यापक स्रोत है कृषि कार्य। कुछ परिवार अपनी भूमि पर कृषि कार्य करके आय (धन) प्राप्त करते हैं, जब कि कुछ व्यक्ति अन्य भूपतियों की भूमि पर कृषि कार्य अर्थात् कृषि श्रमिक के रूप में कार्य करके आय अर्जित करते हैं।
(7) प्रायः सभी देशों में पशुपालन को भी पारिवारिक आय के एक स्रोत के रूप में अपनाया जाता है। पशुओं से दूध, मांस, ऊन आदि प्राप्त होते हैं तथा उन्हें बेचकर आय की प्राप्ति होती है। कुछ पशुओं के बच्चे भी बेचे जाते हैं तथा आय प्राप्त की जाती है, जैसे कि ऊँची नस्ल के कुत्तों के बच्चे बेचना। मछली पालन तथा मधुमक्खी पालन भी आय के अच्छे स्रोत है।
(8) आय का एक उल्लेखनीय स्रोत ब्याज भी है। जमा धन पर किसी सरकारी अथवा गैर-सरकारी संस्था से प्राप्त होने वाला ब्याज भी पारिवारिक आय का एक स्रोत है।
(9) पारिवारिक आय का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत उपहार भी है। विभिन्न अवसरों पर परिवार के सदस्यों को रिश्तेदारों या मित्रों आदि से प्राप्त होने वाले उपहार भी पारिवारिक आय का एक रूप ही माने जाते हैं।
(10) पारिवारिक आय के उपर्युक्त वर्णित मुख्य स्रोतों के अतिरिक्त कुछ अन्य स्रोत भी उपलब्ध हैं। वर्तमान समय में धार्मिक एवं आध्यात्मिक प्रवचन, गायन, नृत्य आदि के प्रदर्शन से भी काफी आय अर्जित की जाती है। कुछ व्यक्ति टी० वी० आदि पर होने वाली प्रतियोगिताओं से भी आय प्राप्त करते हैं। यही नहीं लाटरी के पुरस्कार आदि भी आय के स्रोत हैं। कुछ व्यक्ति तो भिक्षावृत्ति को ही पारिवारिक आय का प्रमुख स्रोत बना लेते हैं।