पारिवारिक बचत का अर्थ
पारिवारिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए परिवार के सदस्यों की अधिक-से-अधिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं। सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कुछ-नकुछ व्यय करना पड़ता है। इस प्रकार के व्यय के लिए नियमित आय की आवश्यकता होती है। सुदृढ़ गृह-अर्थव्यवस्था तथा भावी जीवन की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि वर्तमान आय की तुलना में वर्तमान व्यय कम हो। इसीलिए प्रत्येक परिवार तथा विवेकशील गृहिणियाँ अपना पारिवारिक बजट इस प्रकार से बनाती हैं कि पारिवारिक आय से पारिवारिक व्यय कम हो।
व्यय कम होने की स्थिति में आय का जो अंश बचता है, उसे ही पारिवारिक बचत कहा जाता है। इस प्रकार पारिवारिक बचत के अर्थ को इन शब्दों में स्पष्ट किया जा सकता है-“पारिवारिक आय में से परिवार की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय करने के उपरान्त जो धनराशि शेष रह जाती है, वह पारिवारिक बचत कहलाती है।” यह बचत रूपी धनराशि भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक होती है। इस प्रकार से बचाये गये धन का लाभदायक ढंग से विनियोग किया जाना चाहिए, तभी उसे सही अर्थों में बचत माना जा सकता है। आय में से बचाया गया धन यदि विनियोग नहीं किया जाता है तो उसे बचत न कहकर ‘धन का संचय’ कहा जाता है। उत्तम गृह-अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत बचाये गये धन के उचित विनियोग को आवश्यक माना जाता है, न कि धन के संचय को।
बचत का महत्त्व एवं लाभ
बचत आय का वह भाग है जो भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय से बचाकर उत्पादक कार्यों में विनियोग किया जाता है। यह परिवार, समाज एवं राष्ट्र सभी के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। बचत के महत्त्व को निम्न प्रकार से वर्णित किया जा सकता है–
(1) पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति-बच्चों की शिक्षा एवं विवाह आदि अनेक पारिवारिक दायित्वों की समय आने पर पूर्ति बचत के द्वारा की जाती है।
(2) आकस्मिक संकटों का सामना-बचत द्वारा बीमारी, मृत्यु एवं दुर्घटना जैसे आकस्मिक संकटों के अवसर पर आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। यदि किसी कारणवश पारिवारिक व्यय में एकाएक वृद्धि हो जाए तो उस स्थिति में पहले की गई बचत ही सहायक सिद्ध होती है।
(3) वृद्धावस्था में आत्मनिर्भरता-सेवाकाल में की गयी बचत सेवानिवृत्त होने पर आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करती है।
(4) सामाजिक प्रतिष्ठा—समय से की गयी बचत एवं उसका विवेकपूर्ण नियोजन परिवार को आर्थिक सुदृढ़ता प्रदान करता है, जिसके फलस्वरूप गृह-निर्माण, बच्चों की उच्च शिक्षा, विवाह, व्यवसाय में वृद्धि एवं अनेक सामाजिक दृष्टि से आवश्यक कार्य किए जा सकते हैं, जिनसे पारिवारिक प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
(5) आर्थिक दृष्टि से लाभदायक--बचत के विवेकपूर्ण नियोजन से आकर्षक ब्याज प्राप्त होता है। इससे पारिवारिक आय में वृद्धि होने के साथ-साथ व्यक्ति को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है।
(6) अनावश्यक पारिवारिक व्यय से बचने में सहायक–परिवार द्वारा यदि नियमित बचत करने का दृढ़ संकल्प कर लिया जाता है तो परिवार कुछ अनावश्यक व्ययों से बच जाता है। यहाँ यह
स्पष्ट कर देना प्रासंगिक है कि यदि व्यक्ति नियमित बचत को अनिवार्य नहीं मानता तो वह अपनी आय का कुछ भाग विलासात्मक एवं हानिकारक कार्यों पर व्यय करने लगता है। इससे व्यक्ति एवं परिवार का अहित ही होता है।
(7) अवकाश का समय अच्छे ढंग से व्यतीत करने में सहायक-व्यक्ति यदि नियमित रूप से बचत करता रहता है तो वह अपने अवकाश के समय को अच्छे ढंग से व्यतीत कर सकता है। इस स्थिति में वह अपनी रुचि एवं इच्छा के अनुसार कहीं भी घूमने-फिरने जा सकता है।
(8) आरामदायक एवं सुविधाजनक वस्तुओं की खरीद में सहायक-नियमित बचत करने वाला व्यक्ति टी०वी०, फ्रिज, कपड़े धोने की मशीन तथा स्कूटर या मोटर कार जैसी जीवन को आरामदायक एवं सुविधाजनक बनाने वाली वस्तुओं को सहज ही अर्जित कर सकता है।
(9) राष्ट्रीय योजना के संचालन में सहायक-राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन के लिए धन की निरन्तर आवश्यकता होती है। देश के परिवारों द्वारा की गयी बचत का जो विनियोग किया जाता है, उससे सरकार को पर्याप्त धन प्राप्त हो जाता है तथा यह धन राष्ट्रीय योजनाओं के संचालन में सहायक होता है।
(10) मुद्रास्फीति के नियन्त्रण में सहायक-पारिवारिक बचत की प्रवृत्ति विकसित हो जाने की स्थिति में मुद्रास्फीति की दर को नियन्त्रित करना सम्भव होता है। इससे देश समृद्ध बनता है।
बचत के विनियोग के साधन
पारिवारिक बचत के विनियोग में निम्नलिखित दो बातो को ध्यान में रखना आवश्यक है-
⦁ जिस संस्था में निवेश किया जा रहा है, उसकी विश्वसनीयता।
⦁ विभिन्न संस्थानों में ब्याज की तुलनात्मक दर।
उपर्युक्त दोनों बातों को ध्यान में रखते हुए बचत का विनियोग उस संस्थान में करना चाहिए जो विश्वसनीय हो तथा जिसमें ब्याज की दर तुलनात्मक दृष्टि से भी अधिक हो।
बचत के विनियोग के निम्नलिखित मुख्य साधन हैं
⦁ बैंक
⦁ डाकखाना
⦁ विभिन्न बीमा योजनाएँ
⦁ भविष्य निधि योजना
⦁ सार्वजनिक भविष्य निधि योजना
⦁ भारतीय यूनिट ट्रस्ट
⦁ सहकारी ऋण समितियाँ
⦁ राष्ट्रीय बचत-पत्र योजना