विनिमय-विपत्र या बिल के अनादरण पर उठाए जाने वाले कदम या प्रक्रिया जब विनिमय-विपत्र का अनादरण हो जाता है, तब लेखक इसके प्रमाण के लिए विपत्रालोकी द्वारा प्रमाणित कराता है। विपत्रालोकी द्वारा इसे स्वीकर्ता के पास भुगतान के लिए भेजा जाता है। यदि स्वीकर्ता पुनः भुगतान करने से मना कर देता है, तो विपत्रलोकी विनिमय-विपत्र की पीठ पर अनादरण का कारण लिखकर अपने हस्ताक्षर तथा दिनांक अंकित करके विनिमय-विपत्र लेखक को वापस करे देता है।
विपत्रालोकी के इस कार्य को नोटिंग का कार्य’ कहते हैं। इस कार्य हेतु विपत्रालोकी को जो शुल्क दिया जाता है, उसे ‘निकराई व्यय’ कहते हैं। यह शुल्क प्रारम्भ में विनिमय-विपत्र के धारक द्वारा अदा किया जाता है तथा बाद में स्वीकर्ता से वसूल कर लिया जाता है।
बिल का नवीनीकरण जब विपत्र के स्वीकर्ता को यह विश्वास हो जाता है कि वह भुगतान तिथि पर नहीं कर सकेगा, तो वह विपत्र के लेखक से नया विपत्र लिखने का आग्रह करता है और यदि लेखक द्वारा उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली जाती है, तो लेखक नया बिल लिखता है।