बैंकों के राष्ट्रीयकरण के लाभ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित लाभ हुए है
⦁ आर्थिक विकास में वृद्धि बैंकों को राष्ट्रीयकृत किए जाने से इनकी जमाओं में वृद्धि हुई है। अत: इन जमाओं का उपयोग देश की आर्थिक नीति के अनुसार किया जाने लगा, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
⦁ सहयोग में वृद्धि 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से इन्हें रिज़र्व बैंक का सहयोग प्राप्त हुआ, जिससे देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है।
⦁ बैंकों की कार्यकुशलता में वृद्धि गैर-राष्ट्रीयकृत बैंकों की अपेक्षा राष्ट्रीयकृत बैंकों की कार्यकुशलता में अधिक वृद्धि हुई है।
⦁ समाजवाद को बढ़ावा बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की धनराशि का प्रयोग पूँजीपतियों के अतिरिक्त समाज के सामान्य वर्ग के लिए भी किया गया, जिससे समाजवाद को बढ़ावा मिला
⦁ उद्योग-धन्धों में वृद्धि बैंकों का राष्ट्रीयकरण होने से उद्योग-धन्धों के विकास हेतु सरकार द्वारा उदार ऋण नीति को अपनाया गया।
बैंकों के राष्ट्रीयकरण की हानियाँ बैंकों के राष्ट्रीयकरण से निम्नलिखित हानियाँ हुई हैं-
⦁ भ्रष्टाचार में वृद्धि राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों की कार्यप्रणाली में भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन मिला, क्योंकि बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो जाने से बैंकों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया बहुत लम्बी व कठिन हो गई।
⦁ राजनीति का प्रवेश राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों के संचालन व प्रबन्ध में राजनीतिज्ञों का प्रवेश होने के कारण बैंकों की समस्त पूँजी कुछ ही हाथों में जाने का भय उत्पन्न हो गया है।
⦁ कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंकों में सरकारी नौकरी हो जाने के कारण कर्मचारियों की कार्यकुशलता में कमी आई है।
⦁ नौकरशाही का प्रभुत्व बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पश्चात् बैंक सरकारी क्षेत्रों में आ गए, जिससे अन्य सरकारी क्षेत्रों की भाँति बैंकों में नौकरशाही व लालफीताशाही व्याप्त होने लगी है।
⦁ क्षेत्रीय संकीर्णता राष्ट्रीयकृत बैंकों की अधिक शाखाओं का विस्तार शहरों में होने के कारण शहरी क्षेत्रों की जमाओं का प्रयोग उसी क्षेत्र में किया जाता है, जिस कारण पिछड़े हुए एवं अविकसित क्षेत्रों का विकास रुक जाता है।