Use app×
QUIZARD
QUIZARD
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
1.7k views
in Hindi by (43.1k points)
closed by

हम अपने दुर्दिनों में भी ऐसे मनीषियों और कर्मयोगियों को पैदा कर सके, जो संसार के इतिहास के किसी युग में अत्यन्त उच्च आसन के अधिकारी होते। अपनी दासता के दिनों में हमने गाँधी जैसे कर्मठधर्मनिष्ठ क्रान्तिकारी को, रवीन्द्र जैसे मनीषी कवि को और अरविन्द तथा रमण महर्षि जैसे योगियों को पैदा किया और उन्हीं दिनों में हमने ऐसे अनेक उद्भट विद्वान् और वैज्ञानिक पैदा किये, जिनका सिक्का संसार मानता है। जिन हालातों में पड़कर संसार की प्रसिद्ध जातियाँ मिट गयीं, उनमें हम न केवल जीवित ही रहे, वरन् अपने आध्यात्मिक और बौद्धिक गौरव को बनाये रख सके। उसका कारण यही है कि हमारी सामूहिक चेतना ऐसे नैतिक आधार पर ठहरी हुई है, जो पहाड़ों से भी मजबूत, समुद्रों से भी गहरी और आकाश से भी अधिक व्यापक है।

(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(स)
⦁    कैसे दुर्दिनों में भारत ने किन उच्च आसन के अधिकारी व्यक्तियों को जन्म दिया है ?
⦁    किन परिस्थितियों में पड़कर संसार की प्रसिद्ध जातियाँ मिट गयीं ?
⦁    भारतवासियों की सामूहिक चेतना कैसे आधार पर स्थित है ?
[दुर्दिन = बुरे दिन। मनीषी = बुद्धिमान। आसन = स्थान। उद्भट = श्रेष्ठ, असाधारण!]

1 Answer

+1 vote
by (43.8k points)
selected by
 
Best answer

(अ) प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘हिन्दी’ के ‘गद्य-खण्ड’ में संकलित डॉ० राजेन्द्र प्रसाद द्वारा लिखित ‘भारतीय संस्कृति’ नामक निध से उद्धृत है। अथवा निम्नवत् लिखेंपाठ का नाम-भारतीय संस्कृति। लेखक का नाम–डॉ० राजेन्द्र  प्रसाद

(ब) प्रथम रेखांकित अंश की व्याख्या इतिहास को साक्षी बनाते हुए लेखक राजेन्द्र प्रसाद जी कहते हैं कि भारत देश को भी बुरे दिन देखने पड़े थे, परन्तु यह भी सत्य है कि इन बुरे दिनों में भी भारत ने अनेक विद्वानों एवं कर्मयोगियों को जन्म दिया। ये महान् भारतीय सपूत इतने योग्य थे कि उन्हें संसार के किसी भी भाग में, किसी भी युग में अनिवार्य रूप से सम्मान एवं उच्च पद के योग्य ही समझा जाता। जब हमारा देश परतन्त्र था तब भी  हमारे देश में महात्मा गाँधी जैसे कर्मठ और धर्म में रत रहने वाले क्रान्तिकारी, रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे विचारशील कवि, योगिराज अरविन्द घोष तथा रमण महर्षि जैसे महान् योगी व्यक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ। इसी काल में हमारे देश में अनेक वैज्ञानिक एवं महान् विद्वान भी उद्भूत हुए जिनकी योग्यता को आज भी सारा संसार स्वीकार करता है।

द्वितीय रेखांकित अंश की व्याख्या-डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जी का कहना है कि जिस प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियों में विश्व की अनेक जातियाँ प्रायः समाप्त हो गयीं, उसी प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियों में हम भारतीय हर प्रकार से अपने आपको कुशल बनाये रखने में सफल तो रहे ही, हमने अपने आध्यात्मिक एवं बौद्धिक गौरव को भी बनाये रखा। इस विशिष्टता का मुख्य कारण यह है कि हमारी सामूहिक चेतना का आधार सुदृढ़ नैतिकता है। हमारी नैतिक चेतना पहाड़ों के समान मजबूत, समुद्र से भी गहन तथा आकाश से भी अधिक व्यापक है। इन्हीं गुणों के कारण भारतीय संस्कृति महान् है, जिसके कारण हमारे देश ने अपने बुरे दिनों में भी विश्वविख्यात महान् व्यक्तियों को जन्म दिया।

(स)
⦁    परतन्त्रता/दासता के दिनों में भारत ने महात्मा गाँधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर, महर्षि अरविन्द आदि के साथ-साथ अनेक वैज्ञानिक और विद्वानों को, जो उच्च आसन के अधिकारी थे, जन्म दिया।
⦁    दासता अथवा परतन्त्रता की परिस्थितियों में पड़कर संसार की अनेक प्रसिद्ध जातियों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
⦁    भारतवासियों की सामूहिक चेतना पर्वतों से भी दृढ़, समुद्रों से भी गहरी और आकाश से भी अधिक व्यापक नैतिक आधार पर स्थित है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...