Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2026 Crash Course
NEET 2026 Crash Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
18.0k views
in Hindi by (47.6k points)
closed by

या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहिं कोई ।।
ज्यों-ज्य बूड़े स्याम रँग, त्यों-त्यौं उज्जलु होई ॥

1 Answer

+1 vote
by (49.7k points)
selected by
 
Best answer

[अनुरागी = प्रेम करने वाला, लाल। गति = दशा। बूड़े = डूबता है। स्याम रँग = काले रंग, कृष्ण की भक्ति के रंग में। उज्जलु = पवित्र, सफेद।]

प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रेम से मन की म्लानता एवं कलुषता दूर हो जाती है।

व्याख्या-कवि का कहना है कि श्रीकृष्ण से प्रेम करने वाले मेरे मन  की दशा अत्यन्त विचित्र है। . इसकी दशा को कोई नहीं समझ सकता है; क्योंकि प्रत्येक वस्तु काले रंग में डूबने पर काली हो जाती है। श्रीकृष्ण भी श्याम वर्ण के हैं, किन्तु कृष्ण के प्रेम में मग्न यह मेरा मन जैसे-जैसे श्याम रंग (कृष्ण की , भक्ति, ध्यान आदि) में मग्न होता है वैसे-वैसे श्वेत (पवित्र) होता जाता है।

काव्यगत सौन्दर्य-

⦁    कृष्ण की भक्ति में लीन होकर मन पवित्र हो जाता है। इस भावना की बड़ी ही उत्कृष्ट अंभिव्यक्ति की गयी है।
⦁    भाषा—ब्रज।
⦁    शैली-मुक्तक।
⦁    रस-शान्त।
⦁    छन्ददोहा।
⦁    अलंकारे-ज्यों-ज्यौं बूड़े स्याम रँग, त्यौं-त्यौं उज्जलु होय’ में श्लेष, पुनरुक्तिप्रकाश तथा विरोधाभास।
⦁    गुण-माधुर्य।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...