[अनुरागी = प्रेम करने वाला, लाल। गति = दशा। बूड़े = डूबता है। स्याम रँग = काले रंग, कृष्ण की भक्ति के रंग में। उज्जलु = पवित्र, सफेद।]
प्रसंग-प्रस्तुत दोहे में कवि ने बताया है कि श्रीकृष्ण के प्रेम से मन की म्लानता एवं कलुषता दूर हो जाती है।
व्याख्या-कवि का कहना है कि श्रीकृष्ण से प्रेम करने वाले मेरे मन की दशा अत्यन्त विचित्र है। . इसकी दशा को कोई नहीं समझ सकता है; क्योंकि प्रत्येक वस्तु काले रंग में डूबने पर काली हो जाती है। श्रीकृष्ण भी श्याम वर्ण के हैं, किन्तु कृष्ण के प्रेम में मग्न यह मेरा मन जैसे-जैसे श्याम रंग (कृष्ण की , भक्ति, ध्यान आदि) में मग्न होता है वैसे-वैसे श्वेत (पवित्र) होता जाता है।
काव्यगत सौन्दर्य-
⦁ कृष्ण की भक्ति में लीन होकर मन पवित्र हो जाता है। इस भावना की बड़ी ही उत्कृष्ट अंभिव्यक्ति की गयी है।
⦁ भाषा—ब्रज।
⦁ शैली-मुक्तक।
⦁ रस-शान्त।
⦁ छन्ददोहा।
⦁ अलंकारे-ज्यों-ज्यौं बूड़े स्याम रँग, त्यौं-त्यौं उज्जलु होय’ में श्लेष, पुनरुक्तिप्रकाश तथा विरोधाभास।
⦁ गुण-माधुर्य।