फ्रांस में पहले सामन्ती सभा स्टेट्स जनरल थी। इसमें तीन वर्गों का प्रतिनिधित्व था, जिनके पृथक्-पृथक् अधिवेशन होते थे। सन् 1789 ई० में नये कर लगाने की अनुमति लेने की दृष्टि से इसका अधिवेशन किया गया। तीनों वर्गों का पृथक्-पृथक् अधिवेशन हुआ। मजदूर बहुसंख्यक वर्ग ने नये कर लगाने का विरोध किया। इस पर राजा तथा विशेष वर्ग ने सभा भंग करनी चाही। जनता वर्ग ने टेनिस कोर्ट के निकट एक सभा की तथा उसे राष्ट्रीय सभा घोषित किया। राजा ने सेना बुलाकर राष्ट्रीय महासभा को भंग करने का पुन: प्रयास किया, परन्तु वह सफल न हो सका। राजा को राष्ट्रीय महासभा को मान्यता देनी पड़ी। राष्ट्रीय महासभा ने अपने लगभग दो वर्षों (1789-91) के कार्यकाल में बड़े महत्त्वपूर्ण कार्य किये और फ्रांस में सदियों से चली आ रही दूषित संस्थाओं का नामोनिशान मिटा दिया।
राष्ट्रीय महासभा के कार्य
राष्ट्रीय महासभा के निम्नलिखित प्रमुख कार्य थे –
1. राष्ट्रीय महासभा ने 4 अगस्त, 1789 ई० को सामन्तों तथा पादरियों के विशेषाधिकारों को समाप्त करने के लिए कई प्रस्ताव पास किये।
2. राष्ट्रीय महासभा ने 27 अगस्त, 1789 ई० को मानव तथा नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की, जिसके अनुसार कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान थे।
3. राष्ट्रीय महासभा ने उन सभी लोगों की सम्पत्ति जब्त कर ली, जो फ्रांस छोड़कर विदेश चले गये थे।
4. राष्ट्रीय महासभा ने यह कानून बनाया कि किसी भी व्यक्ति को बिना कानूनी सहायता के दण्डित नहीं किया जा सकता अथवा कैदी नहीं बनाया जा सकता।
5. यदि राजा किसी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं करेगा तो भी तीन बार विधानसभा में पारित होने पर वह कानून का रूप ले लेगा।
6. राष्ट्रीय महासभा ने चर्च द्वारा कर लेने पर रोक लगा दी तथा चर्च की सम्पत्ति भी जब्त कर ली।
7. राष्ट्रीय महासभा ने 6 फरवरी, 1790 ई० में धार्मिक मठों को बन्द करवा दिया।
8. राष्ट्रीय महासभा ने जुलाई, 1790 ई० में पादरियों पर अंकुश लगाने के लिए एक पादरी विधान बनाया। इसके अनुसार फ्रांस के पादरियों को रोम के पोप की अधीनता से मुक्त कर दिया गया। उनकी नियुक्ति तथा वेतन की व्यवस्था कर दी गयी।
9. राष्ट्रीय महासभा ने देश को 83 प्रान्तों, प्रान्त को कैण्टनों और कैण्टनों को कम्यूनों में बाँटकर एकसमान शासन-व्यवस्था लागू की।
10. राष्ट्रीय महासभा ने देश में स्थापित प्राचीन न्यायालयों को भंग करके फौजदारी और दीवानी के न्यायालय स्थापित किये। उसने न्यायाधीशों की नियुक्ति और कार्यावधि निश्चित कर दी।
11. राष्ट्रीय महासभा ने 30 सितम्बर, 1791 ई० को देश के लिए एक संविधान बनाकर स्वयं को भंग कर दिया।
राष्ट्रीय महासभा का प्रभाव
राष्ट्रीय महासभा के महत्त्वपूर्ण कार्यों के निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
1. शासन की निरंकुशता का अन्त हो गया, जिससे वहाँ गणतन्त्र की स्थापना हो गयी।
2. कुलीन वंश के विशेषाधिकारों का अन्त हो गया।
3. राजा-रानी की स्वेच्छाचारिता पर रोक लग गयी।
4. चर्च के विशेषाधिकार समाप्त होने से जनता का शोषण रुक गया।
5. क्रान्ति-विरोधियों को गुलोटीन नामक मशीन से फाँसी दे दी गयी।
6. दास-प्रथा समाप्त हो गयी।
7. सामन्तवाद का अन्त करके साम्यवाद की स्थापना की गयी।
8. प्रजातन्त्र का मार्ग प्रशस्त हो गया।
इस प्रकार फ्रांस की महासभा ने दो वर्ष के समय में ही फ्रांस के तूफानी वातावरण के मध्य इतने महत्त्वपूर्ण कार्य कर डाले, जो विश्व में अनेक व्यवस्थापिकाएँ अनेक वर्षों में भी करने में सफल न हो सकीं। राष्ट्रीय महासभा का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य फ्रांस में प्राचीन दूषित शासन-व्यवस्था का अन्त करना था।