भूमण्डलीय तापन
गत 100 वर्षों में भूमण्डलीय औसत तापमान में लगभग 0.3°C से 0.7°C की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार सन् 2050 तक पृथ्वी के औसत तापमान में 1.5°C से 4.5°C की बढ़ोत्तरी हो सकती है।
भूमण्डलीय औसत तापमान में यह बढ़ोत्तरी ही. भू-मण्डलीय तापन कहलाती है।
कारण
भू-मण्डलीय तापन के दो प्रमुख कारण निम्नवत् हैं
- जीवाश्मी ईंधनों के बिना सोचे-समझे अधिक उपयोग से।।
- ओजोन छिद्र के कारण भूमण्डल पर पहुँचने वाली पराबैंगनी किरणों से।
प्रभाव
भू-मण्डलीय तापन के दो प्रमुख प्रभाव निम्नवत् हैं
- भूमण्डलीय तापन के कारण भूमण्डल की जलवायु में परिवर्तन हो जायेगा अर्थात् कहीं अधिक ठंड तो . कहीं अधिक गर्मी पड़ेगी, कहीं अधिक वर्षा होगी तो कहीं वर्षा नहीं होगी। जिसके कारण जन-जीवन प्रभावित होगा।
- भू-मण्डलीय तापन के कारण ग्लेशियर हिमनद, ध्रुवों तथा पर्वत की चोटियों पर जमी बर्फ पिघल जायेगी जिसके कारण समुद्र तल की ऊँचाई बढ़ जायेगी फलस्वरूप समुद्र तटीय प्रदेश समुद्र में डूब जायेंगे।