भूकम्प की भविष्यवाणी निम्नलिखित तरीकों के द्वारा की जा सकती है
1. किसी क्षेत्र में हो रही भूगर्भीय गतियों का उस क्षेत्र में हो रहे भू-आकृतिक परिवर्तनों से अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसे क्षेत्र जहाँ भूमि ऊपर-नीचे होती रहती है, अत्यधिक भूस्खलन होते हैं, नदियों के मार्ग में असामान्य परिवर्तन होता है, प्रायः भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील होते हैं।
2. किसी क्षेत्र में सक्रिय भ्रंशों, जिन दरारों से भूखण्ड टूटकर विस्थापित भी हुए हों, की उपस्थिति को भूकम्पे का संकेत माना जा सकता है। इस प्रकार के भ्रंशों की गतियों को समय के अनुसार तथा अन्य उपकरणों से मापा जा सकता है।
3. भूकम्प संवेदनशील क्षेत्रों में भूकम्पमापी यन्त्र (Seismograph) लगाकर विभिन्न भूगर्भीय गतियों को रिकॉर्ड किया जाता है। इस अध्ययन से बड़े भूकम्प आने की पूर्व चेतावनी मिल जाती है। भूकम्प की आरम्भिक अवस्था में दरवाजे, खिड़कियाँ व अन्य खिसकने और घूमने वाली वस्तुओं में कम्पन होने लगता है, या वे घूमने लगती हैं। मन्दिरों की घण्टियाँ भी बजने लगती हैं। यद्यपि भूकम्प का पूर्वानुमान अभी भी पूर्णतया सम्भव नहीं है, तथापि भूकम्प आने के पूर्व की ऐसी ही घटनाओं और व्यवहारों के अवलोकन और पहचान में दक्षता प्राप्त कर ली जाए तो भूकम्प आने से पूर्व आवश्यक सावधानियों द्वारा सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है।