नाभिकीय विस्फोटों के पीछे निम्नलिखित दो मूल कारण निहित हैं
1. मानवीय भूल, तकनीकी अकुशलता या कुंप्रबन्ध एवं अव्यवस्था, जिसके परिणामस्वरूप परमाणु ईंधन , संयन्त्रों में विस्फोट या रेडियोधर्मी पदार्थों के रिसाव के कारण तबाही की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
2. मानवीय दुष्प्रवृत्तियाँ जो राजनीतिक स्वार्थों के वशीभूत उत्पन्न होती हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा
राजनीतिक स्वार्थों के कारण ही दूसरे विश्व युद्ध में परमाणु बमों का प्रयोग किया गया था।
नाभिकीय विस्फोट एवं रिसाव से बचने की सबसे प्रभावशाली युक्ति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर इन बमों के निर्माण व प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध एवं परमाणु ऊर्जा केन्द्रों में पूर्ण सावधानी रखने से हो सकती है। इस सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इनके निर्माण तथा प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की तत्काल आवश्यकता है। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय; विशेष रूप से अमेरिका; को मानव कल्याण के लिए पूर्ण इच्छाशक्ति व ईमानदारी से ऐसे प्रतिबन्धों का पालन करना चाहिए। ऊर्जा संयन्त्रों से उत्पन्न विकिरण के खतरों को न्यूनतम करने हेतु निम्नलिखित दो उपाय हैं
1. परमाणु ऊर्जा केन्द्रों से उत्पन्न कचरे के निस्तारण का ऐसा प्रबन्ध किया जाना चाहिए जिससे रेडियोधर्मी विकिरण न हो। रेडियोसक्रिय अवशिष्टों तथा उच्चस्तरीय द्रव्य अवस्था के कचरों को गन्धक व पिच के साथ मिश्रित करके ठोस बनाकर स्टील के ड्रमों में सुरक्षित कर उन्हें समुद्र की अगाध गहराई में ड्रिल किये गये गत में दबाया जा सकता है।
2. रिऐक्टरों के रख-रखाव में पूर्ण सतर्कता बरतनी चाहिए। समय-समय पर परमाणु संयन्त्रों व पाइप लाइनों का निरीक्षण करते रहना चाहिए। जहाँ से गैसों का रिसाव हो सकता है, वहाँ पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।