बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ वे नदी-घाटी परियोजनाएँ हैं, जिनसे एक ही समय में अनेक उद्देश्यों की पूर्ति होती है। इन योजनाओं को बहुमुखी योजनाएँ भी कहा जाता है। इनसे होने वाले विविध लाभों और देश के आधुनिक विकास में योगदान के कारण इन्हें ‘आधुनिक भारत के मन्दिर’ कहा जाता है। देश के सर्वांगीण आर्थिक विकास एवं क्षेत्रीय नियोजन के लिए बहु-उद्देशीय या बहुध्येयी योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है। इन योजनाओं का तात्पर्य ऐसी योजनाओं से है जिनका उद्देश्य एक-से-अधिक समस्याओं का समाधान करना होता है। इसीलिए इन्हें बहुध्येयी योजनाएँ कहा जाता है। स्वतन्त्रता-प्राप्ति के पश्चात् देश में खाद्यान्न एवं औद्योगिक उत्पादन में क्रान्तिकारी परिवर्तन के लिए इन योजनाओं को आरम्भ किया गया था। इन योजनाओं का प्रारूप संयुक्त राज्य अमेरिका की ‘टेनेसी नदी-घाटी योजना के आधार पर तैयार किया गया है। भारत में बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाएँ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं—(क) सिंचाई परियोजनाएँ तथा (ख) जल-विद्युत परियोजनाएँ।
उद्देश्य (कार्य)-बहु-उद्देशीय नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य (कार्य) निम्नलिखित हैं
- जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
- बाढ़ों पर नियन्त्रण करना।
- सिंचाई हेतु नहरों का निर्माण एवं विकास करना।
- मत्स्य-पालन करना।
- भू-क्षरण पर प्रभावी नियन्त्रण करना।
- उद्योग- धन्धों का विकास करना।
- आन्तरिक जल-परिवहन का विकास करना।
- लदली भूमियों को सुखाना।
- शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।
- प्राकृतिक सौन्दर्य तथा मनोरंजन व पर्यटन स्थलों का विकास करना।
- क्षेत्रीय नियोजन तथा उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण और समुचित उपयोग करना।
- पशुओं के लिए हरे चारे की व्यवस्था करना।
देश के आर्थिक विकास में योगदान (महत्त्व)/लाभ
बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के अन्तर्गत देश की सर्वांगीण उन्नति एवं विकास में उपयोगी होने के कारण सभी प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण नदियों पर बाँध बनाये गये हैं तथा जल का उपयोग एक साथ कई उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाने लगा है। इन परियोजनाओं से जो लाभ उठाये जा रहे हैं, उनका विवरण अग्रलिखित है–
1. सिंचाई- नदियों पर बाँध बनाकर उसके पीछे जलाशय में जल संचित कर लिया जाता है। इससे शुष्क ऋतु में सिंचाई के लिए जल प्राप्त होता है। राजस्थान में सतलुज नदी के जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। सिंचाई सुविधाओं के विकास एवं विस्तार से कृषि-योग्य क्षेत्रफल तथा भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हुई है तथा एक-फसली क्षेत्र बहु-फसली क्षेत्र में परिणत हो गये हैं।
2. बाढ़-नियन्त्रण- विनाशकारी बाढ़ों के लिए कुख्यात नदियों पर बाँध बनाकर इन परियोजनाओं से बाढ़-नियन्त्रण सम्भव हुआ है। अब दामोदर तथा कोसी नदियाँ ‘शोक की नदियाँ नहीं रहीं। अब वे आर्थिक विकास के लिए वरदान बन गयी हैं।
3. जल-विद्युत उत्पादन- नदियों पर बाँध बनाकर उनके जल को ऊँचाई से गिराकर बड़ी-बड़ी टर्बाइनों की सहायता से जल-विद्युत का उत्पादन किया जाता है। जलविद्युत जीवाश्म ईंधनों से उत्पन्न तापीय ऊर्जा की अपेक्षा प्रदूषणरहित, स्वच्छ और सतत शक्ति का साधन होती है।
4. वन-रोपण- नदी-घाटी में वन-रोपण किया जाता है। इससे पारिस्थितिकी का सन्तुलन कायम होता है। वन-भूमि में वन्य-जीवों को निरापद आश्रय-स्थल प्राप्त होता है। वन क्षेत्रों में उगी हरी-भरी घासे पशुपालन को प्रोत्साहित करती हैं।
5. नौकारोहण- बाँध से निकाली गयी नहरों में नौ-परिवहन की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जो यातायात का सबसे सस्ता साधन हैं।
6. मत्स्यपालन- जलाशयों तथा नहरों में मछलियाँ पाली जाती हैं, उनके बीज तैयार किये जाते हैं और उनकी बिक्री से आर्थिक लाभ कमाया जाता है।
7. मृदा-संरक्षण- मिट्टी का अपरदन नियन्त्रित होता है तथा उसका संरक्षण सम्भव होता है।
8. पर्यटन और मनोरंजन- ये परियोजनाएँ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र होती हैं; क्योंकि खाली‘ पड़ी भूमि पर सुन्दर पार्क, उद्यान आदि का विकास किया जाता है, जो इसके प्राकृतिक सौन्दर्य में वृद्धि कर देते हैं।
9. उद्योग-धन्धों का विकास- उद्योग-धन्धों का विकास सस्ती ऊर्जा-शक्ति की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बहुध्येयी परियोजनाओं के विकास से उद्योगों को सस्ती जलविद्युत शक्ति के साथ-साथ स्वच्छ जल भी उपलब्ध हो जाता है।
यद्यपि बहु-उद्देशीय परियोजना के प्रमुख उद्देश्य सिंचाई, जल-विद्युत उत्पादन तथा बाढ़-नियन्त्रण हैं, तथापि इनसे अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। जब एक बहु-उद्देशीय परियोजना स्थापित की जाती है तो उसके द्वारा सेवित सम्पूर्ण क्षेत्र का समग्र विकास होता है। उदाहरण के लिए-दामोदर घाटी परियोजना से झारखण्ड तथा प० बंगाल राज्यों को सिंचाई, जलविद्युत, बाढ़-नियन्त्रण, मत्स्य-पालन, मृदा-संरक्षण, वन-रोपण, नौका-रोहण आदि के लाभ प्राप्त होते हैं। जल विद्युत के उत्पादन से उद्योगों को भी लाभ पहुँचता है। औद्योगिक विकास से नगरीकरण में वृद्धि होती है तथा सम्पूर्ण क्षेत्र का आर्थिक विकास होता है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण सम्पूर्ण दामोदर घाटी क्षेत्र देश का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बन सका है। देश में स्थापित अन्य परियोजनाओं से भी देश के विभिन्न क्षेत्रों का आर्थिक विकास सम्भव हुआ है।