उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व व्यय को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है
(अ) आयोजनागत व्यय – इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से करों की वसूली का व्यय, प्रशासनिक सेवाओं पर व्यय एवं सामाजिक, सामुदायिक तथा आर्थिक सेवाओं पर हुए व्यय सम्मिलित किये जाते हैं।
(ब) आयोजनेतर व्यय – इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से करों की वसूली, ब्याज को भुगतान, ऋण सेवा, सामान्य प्रशासनिक सेवाएँ एवं सामाजिक, सामुदायिक तथा आर्थिक सेवाओं पर किये जाने वाले व्यय सम्मिलित किये जाते हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की व्यय की मुख्य मदें निम्नलिखित हैं –
1. कर-शुल्क व अन्य राजस्वों की वसूली – इस मद के अन्तर्गत कृषि आयकर, भू-राजस्व, राज्य उत्पादन कर, वाहन कर, बिक्री कर, स्टाम्प, रजिस्ट्री शुल्क, मनोरंजन कर इत्यादि की वसूली में होने वाले व्ययं सम्मिलित किये जाते हैं। सरकार को इन्हें वसूल करने में पर्याप्त व्यय.करना पड़ता है।
2. सार्वजनिक या सामान्य प्रशासन पर व्यय – सार्वजनिक प्रशासन के अन्तर्गत न्याय, जेल, पुलिस, चिकित्सा इत्यादि विभागों के प्रशासनिक व्यय सम्मिलित होते हैं। सामान्य प्रशासन में विधानमण्डल, राज्यपाल, मन्त्रिपरिषद् के निर्वाचन एवं वेतन-भत्ते के व्यय, सचिवालय, लोक सेवा आयोग, जिला प्रशासन, कोषागार, सार्वजनिक निर्माण कार्य पर होने वाले मदों को सम्मिलित किया जाता है। पेंशन तथा प्रकीर्ण सेवाओं पर होने वाले व्ययों को भी इसी मद में रखा जाता है।
3. ब्याज भुगतान व ऋण सेवा – सरकार समय-समय पर अपने अतिरिक्त व्ययों की पूर्ति के लिए ऋण लेती है। इन ऋणों के भुगतान एवं ब्याज के भुगतान पर भी सरकार को प्रति वर्ष व्यय करना पड़ता है। उपर्युक्त व्यय प्रदेश सरकार द्वारा गैर-योजनागत मद के अन्तर्गत किये जाते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा किये गये अग्रलिखित व्यय योजनागत मदों के अन्तर्गत किये जाते हैं –
4. सामाजिक, सामुदायिक एवं आर्थिक सेवाएँ तथा सहायक अनुदान – इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से शिक्षा, कला, संस्कृति, चिकित्सा, सार्वजनिक स्वास्थ्य व परिवार कल्याण, श्रम और सेवायोजन, सहकारिता, कृषि, सिंचाई, भू-संरक्षण, क्षेत्र विकास, पशुपालन, वन, सामुदायिक विकास, उद्योग व खनिज, जलविद्युत, परिवहन एवं संचार, विशेष व पिछड़े हुए क्षेत्र आदि मदें सम्मिलित की जाती हैं। इन मदों पर सरकार द्वारा पर्याप्त व्यय किया जाता है।
5. शिक्षा, कला एवं संस्कृति – शिक्षा के अन्तर्गत प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा, तकनीकी, प्रावैगिक व चिकित्सा शिक्षा आते हैं। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक विकास पर भी सरकार पर्याप्त व्यय करती है।
6. कृषि-सम्बन्धी विकास – कृषि विकास कार्यक्रमों के अन्तर्गत मुख्य रूप से कृषि, पशुपालन, सहकारिता, लघु सिंचाई, भू-संरक्षण, मत्स्यपालन, डेयरी उद्योग इत्यादि मदों को सम्मिलित करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार इन मदों पर प्रति वर्ष अरबों रुपये व्यय करती है।
7. चिकित्सा, सार्वजनिक स्वच्छता, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण – उत्तर प्रदेश सरकार चिकित्सा, परिवार नियोजन व सार्वजनिक स्वच्छता एवं स्वास्थ्य व परिवार कल्याण पर प्रति वर्ष पर्याप्त धनराशि व्यय करती है।
8. सामुदायिक विकास सेवाएँ – राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर सामाजिक व आर्थिक असमानताओं को कम करने के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं, जिन पर उसे अत्यधिक धनराशि का व्यय करना पड़ता है।
9. उद्योग व खनिज – उद्योग व खनिज विकास पर उत्तर प्रदेश सरकार प्रति वर्ष करोड़ों रुपये व्यय करती है।
10. जल-विद्युत एवं विकास – राज्य द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण की नीति को लागू करने हेतु तथा पेयजल समस्या को दूर करने के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये गये हैं। नदी-घाटी योजनाएँ, नलकूप निर्माण, ताप बिजलीघरों की स्थापना आदि विकास-कार्यक्रमों पर सरकार द्वारा अत्यधिक व्यय किया जाता है।
11. परिवहन व संचार – तार, वायरलेस, राजकीय परिवहन व संचार की मदों पर भी उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पर्याप्त व्यय किया जाता है।
12. विशेष एवं पिछड़े हुए क्षेत्र – प्रदेश के विशेष रूप से पिछड़े या विशेष क्षेत्रों पर भी सरकार अत्यधिक व्यय करती है। इन क्षेत्रों के विभिन्न विकास-कार्यक्रमों पर राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त धनराशि का व्यय किया जाता है।