Use app×
Join Bloom Tuition
One on One Online Tuition
JEE MAIN 2025 Foundation Course
NEET 2025 Foundation Course
CLASS 12 FOUNDATION COURSE
CLASS 10 FOUNDATION COURSE
CLASS 9 FOUNDATION COURSE
CLASS 8 FOUNDATION COURSE
0 votes
117 views
in Social Science by (49.7k points)
closed by

उत्तर प्रदेश के नगर निगम या नगरपालिका की आय के स्रोतों तथा व्यय की प्रमुख मदों का वर्णन कीजिए।

या

नगरपालिका की आय के स्रोत लिखिए।

या

नगरपालिकाओं के व्यय की तीन मुख्य मदें लिखिए।

या

नगरनिगमों की आय के स्रोत लिखिए।

1 Answer

+1 vote
by (47.6k points)
selected by
 
Best answer

नगर निगम उत्तर प्रदेश के महानगरों (जैसे-लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा, इलाहाबाद, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली व मेरठ) की व्यवस्था करते हैं। ये प्राय: वही कार्य करते हैं, जो पूर्व में नगर महापालिकाएँ किया करती थीं; अन्तर केवल इतना ही है कि ये अधिक शक्तिशाली होते हैं, इनका कार्य-क्षेत्र अधिकं विस्तृत होता है, इन्हें कर लगाने तथा वसूल करने के अधिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा इन पर राज्य सरकार का उतना नियन्त्रण नहीं होता जितना नगर महापालिकाओं पर होता है।

नगर निगम या नगरपालिका की आय के स्रोत

नगर निगम या नगरपालिका की आय के दो प्रमुख साधन हैं –

  • () कर आगम एवं
  • () गैर-कर आगम।

() कर आगम नगर निगम को निम्नलिखित करों से आय प्राप्त होती है

1. सम्पत्ति कर यह नगर निगम की आय का प्रमुख स्रोत है। यह कर उसकी सीमा में स्थित भूमि, मकान तथा सम्पत्तियों के स्वामियों पर लगाया जाता है। ये निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं

  1. गृह भूमि-कर यह कर मकान व भूमि की वार्षिक आय पर लगाया जाता है और उसके स्वामी से वसूल किया जाता है।
  2. सुधार कर यह कर नगर सुधार योजनाओं के कारण शहरी भूमि के मूल्य में होने वाली वृद्धि पर लगाया जाता है।
  3. सेवा कर नगर निगम सेवाओं पर भी कर लगाते हैं; जैसे-जल-कर, माल-वाहन कर, विद्युत व अग्नि कर आदि।

2. चुंगी – नगर निगमों की सीमा में प्रवेश करने वाले माल पर जो कर लगाया जाता है, उसे चुंगी कहते हैं। नगर निगम की आय का यह सबसे बड़ा स्रोत है। चुंगी वस्तुओं की तोल पर या मूल्यानुसार लगायी जाती है। उत्तर प्रदेश में चुंगी समाप्त कर दी गयी है।

3. सीमा कर – यह कर रेल द्वारा किसी स्थानीय क्षेत्र में आने वाले पदार्थों पर लगाया जाता है।

4. मार्ग-कर – यह कर किसी स्थान, पुल या सड़क पर से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति, पशु, घोड़ागाड़ी आदि वाहनों से निश्चित दर (भार अथवा संख्या) पर वसूल किया जाता है।

5. तहबाजारी – यह कर अस्थायी अर्थात् ऐसे दुकानदारों से वसूल किया जाता है, जो सड़क की पटरियों पर रखकर अपना सामान बेचते हैं; जैसे-खोमचेवाले, फेरीवाले, हॉकर्स आदि।

6. शुल्क या अनुज्ञा-पत्र – इसके अन्तर्गत निम्नलिखित प्रकार के शुल्क सम्मिलित हैं

  1. नगर निगमों द्वारा प्रदान की गयी विशेष सेवाओं का शुल्क; जैसे-नोटिस शुल्क, नकल लेने का शुल्क आदि।
  2. विलासिता की सामग्री पर लगाये गये शुल्क; जैसे—मोटरगाड़ियों तथा कुत्ते रखने पर अनुज्ञा-पत्र शुल्क, ताँगा, इक्का, बैलगाड़ी, ठेली-रिक्शा आदि पर अनुज्ञा-पत्र शुल्क।
  3. अन्य मदों पर अनुज्ञा-पत्र।

() गैर-कर आगम नगर निगम की गैर-कर आगम से प्राप्त आय के प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं

  1. भूमि का लगान तथा मकानों, विश्रामगृहों एवं डाक बँगलों का किराया।
  2. भूमि-कंर तथा भूमि की उपज से प्राप्त आय।
  3. बाजारों तथा बूचड़खानों से प्राप्त आय।
  4. विनियोगों पर प्राप्त आय।
  5. वाणिज्य व्यवसायों (जैसे—ट्राम सेवाओं, मोटरगाड़ियों, बिजली व गैस पदार्थों, जल-आपूर्ति सेवाओं आदि) से प्राप्त आय।
  6. राज्य सरकारों से प्राप्त अनुदान। ये दो प्रकार के होते हैं-

(i) आवर्ती अनुदान, जो प्रति वर्ष दिये जाते हैं तथा

(ii) अनावर्ती अनुदान, जो किसी विशेष कार्य को सम्पन्न करने के लिए दिये जाते हैं।

नगर निगम या नगरपालिका की व्यय की प्रमुख मदें

नगर निगम या नगरपालिका की व्यय की प्रमुख मदों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –

1. शिक्षा नगर निगम प्राथमिक शिक्षा, जूनियर शिक्षा व कभी-कभी माध्यमिक शिक्षा का भी प्रबन्ध करती है। स्कूलों का निर्माण करना, उनके संचालन के लिए आवश्यक सामग्री जुटाना, अध्यापकों को वेतन देना आदि व्यय इस मद में सम्मिलित होते हैं।

2. जन-स्वास्थ्य सेवाएँ इस मद में ये व्यय सम्मिलित होते हैं-शुद्ध जल की व्यवस्था करना, गन्दे पानी की निकासी की व्यवस्था करना, सफाई का प्रबन्ध करना, महामारियों की रोकथाम करना, टीका लगवाना, खाद्य पदार्थों में मिलावट को रोकना, चिकित्सालयों की व्यवस्था करना आदि। नगर निगमों का पर्याप्त धन इन मदों पर व्यय होता है।

3. सार्वजनिक सुरक्षा – इस मद में ये व्यय आते हैं—आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड का प्रबन्ध करना, गलियों में प्रकाश की व्यवस्था करना, हानिकारक पशुओं से रक्षा करना, सड़कों के चौराहों पर पुलिस के खड़े होने के लिए चबूतरे बनवाना, सार्वजनिक स्थानों पर बिजली व प्रकाश का प्रबन्ध करना आदि।

4. जनसाधारण की सुविधा – इस मद में ये व्यय सम्मिलित किये जाते हैं-सड़क, पुल व नाली बनवाना; पुस्तकालय या वाचनालय का प्रबन्ध करना; सड़कों पर पानी छिड़कवाना; सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाना; बाजार, मेले व प्रदर्शनियों आदि का आयोजन करना।

5. प्रशासन और कर-संग्रह पर व्यय – इन्हें अपने प्रशासन हेतु कार्यालयों की व्यवस्था करनी होती है। अत: कार्यालयों के कर्मचारियों के वेतन तथा सामग्री पर व्यय करना पड़ता है। करों को वसूल करने में भी आय का पर्याप्त भाग व्यय हो जाता है।

6. सार्वजनिक निर्माण-कार्य – नगरपालिकाओं को उद्यानों व पार्को की व्यवस्था करनी पड़ती है, खेल के मैदान एवं व्यायामशालाओं आदि का निर्माण भी करना पड़ता है तथा अपने क्षेत्र की टूटी-फूटी सड़कों का निर्माण एवं मरम्मत भी करानी पड़ती है। इन सभी कार्यों को सम्पादित करने में उसे प्रति वर्ष पर्याप्त धन व्यय करना पड़ता है।

7. पेयजल की व्यवस्था पर व्यय – नागरिकों के पीने के लिए शुद्ध जल की व्यवस्था करने के लिए नगरपालिकाएँ नलकूपों का निर्माण कराकर टंकियों के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था करती हैं तथा सार्वजनिक स्थानों पर नल भी लगवाती हैं। इस मद पर भी इन्हें धन व्यय करना पड़ता है।

Related questions

Welcome to Sarthaks eConnect: A unique platform where students can interact with teachers/experts/students to get solutions to their queries. Students (upto class 10+2) preparing for All Government Exams, CBSE Board Exam, ICSE Board Exam, State Board Exam, JEE (Mains+Advance) and NEET can ask questions from any subject and get quick answers by subject teachers/ experts/mentors/students.

Categories

...