दुनिया में दो अमोघ शक्तियाँ हैं-शब्द और कृति। इसमें कोई शक नहीं है कि शब्दों ने सारी पृथ्वी को हिला दिया है, किन्तु अन्तिम शक्ति तो कृति ही है। महात्मा जी ने इन दोनों शक्तियों की असाधारण उपासना की है। कस्तूरबा ने इन दोनों शक्तियों में से अधिक श्रेष्ठ शक्ति कृति की नम्रता के साथ उपासना करके सन्तोष माना और जीवनसिद्धि प्राप्त की।