भक्तिकालीन कृष्णभक्ति काव्यशाखा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं
- उपास्यदेव श्रीकृष्ण हैं।
- कृष्ण के बाल-स्वरूप एवं किशोर अवस्था की लीलाओं का वर्णन हुआ है।
- दास्य एवं सखा-भाव की भक्ति-भावना है।
- वात्सल्य रस का चरमोत्कर्ष प्रस्तुत हुआ है।
- श्रृंगार के संयोग एवं वियोग-दोनों पक्षों का सुन्दर चित्रण हुआ है।
- प्रकृति-वर्णन उद्दीपन रूप में हुआ है।
- भाव और भाषा का उत्कृष्ट रूप है।
- मुक्तक शैली की प्रधानता है।
प्रदुख कवि हैं – सूर, नन्ददास, कुम्भनदास, मीरा, रसखान आदि।