नाजीवाद 1930 ई. के दशक में अधिक लोकप्रिय नहीं बन पाया किन्तु मंदी के दौरान नाजीवाद एक जनआंदोलन बन गया। 1929 ई. के बाद बैंक दिवालिया हो चुके थे, काम-धन्धे बन्द होते जा रहे थे, मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी और भुखमरी का डर सता रहा था। ऐसे में लोगों को नाजी प्रोपेगैन्डा में एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नाजियों को जर्मन संसद ‘राइख्सटाग’ में केवल 2.6 प्रतिशत वोढ़ मिले। 1932 ई. तक यह सबसे बड़ा दल बन गई और इसे 27 प्रतिशत वोट मिले।
इस दौरान नाजियों ने अनेक बड़ी रैलियों का आयोजन किया। हिटलर का जनसमर्थन दिखाने और लोगों में एकता की भावना का संचार करने के लिए जनसभाओं का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिटलर ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने तथा युवाओं के लिए बेहतर भविष्य का वायदा किया।