भारत में 19वीं सदी के अंत तक राष्ट्रीयता की भावना प्रबल रूप से बलवती हो उठी थी। ऐसे में अनेक भारतवासी राष्ट्रीय एकता की अभिव्यक्ति करने वाले सांस्कृतिक प्रतीकों के सृजन को तत्पर हो गए। इसी काल खण्ड में राष्ट्रीय पोशाक की खोज राष्ट्र की पहचान को प्रतीकात्मक ढंग से परिभाषित करने की प्रक्रिया का एक हिस्सा बन गयी। विभिन्न भारतवासियों द्वारा राष्ट्रीय पोशाक का डिजाइन तैयार करने के लिए अनेक प्रयास किए गए। 1870 ई0 के दशक में टैगोर खानदान ने भारतीय पुरुषों और महिलाओं के लिए राष्ट्रीय पोशाक डिजाइन करने का प्रयास किया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने सुझाव प्रस्तुत किया कि भारतीय व यूरोपीय पोशाक का मेल करने के बजाय हिन्दू और मुसलमान पोशाक, का मेल करके भारतीय राष्ट्रीय पोशाक निर्मित की जाए। इस तरह बटनदार लंबा कोट-पुरुषों के लिए सबसे उपयुक्त माना गया। इसी तरह पृथक्-पृथक् क्षेत्रों की पारंपरिक वेशभूषा से प्रेरणा ली गयी।