भारतीय लोकतन्त्र की प्रमुख समस्याएँ इस प्रकार हैं
⦁ असामाजिक तत्वों की भूमिका- चुनावों में असामाजिक तत्वों की भूमिका बहुत बढ़ गयी है। चुनावों के दौरान मतदाताओं पर किसी व्यक्ति विशेष के पक्ष में मतदान करने के लिए दबाव डाला जाता है। चुनाव के दौरान मत खरीदे और बेचे जाते हैं और मतदान केन्द्रों पर कब्जा किया जाता है।
⦁ जातिवाद और सम्प्रदायवाद- जातिवाद एवं सम्प्रदायवाद भारतीय लोकतन्त्र के सम्मुख उपस्थित एक गम्भीर समस्या है। चुनाव के लिए प्रत्याशियों का चयन करते समय सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण को महत्त्व देते हैं। मतदाता भी मतदान करते समय जातिवाद तथा सम्प्रदायवाद से प्रभावित होकर मतदान करते हैं। कई राजनीतिक दलों का गठन भी सम्प्रदाय तथा जातिवाद के आधार पर किया गया है। जातिवाद के आधार पर लोगों में आपसी झगड़े होते रहते हैं जो लोकतन्त्र की बड़ी समस्या का कारण बनते हैं।
⦁ सामाजिक तथा आर्थिक असमानता- किसी भी देश में लोकतन्त्र की सफलता के लिए सामाजिक एवं आर्थिक समानता का होना अनिवार्य होता है। भारत में इसका अभाव है। समाज में सभी नागरिकों को समान नहीं समझा जाता। जाति, धर्म तथा वंश आदि के आधार पर नागरिकों में भेदभाव किया जाता है। आर्थिक दृष्टि से अमीर तथा गरीब की खाई बहुत बड़ी है।
⦁ निरक्षरता- भारत में बहुत बड़ी संख्या में लोग अनपढ़ हैं। उन्हें अपने अधिकारों तथा कर्तव्यों के बारे में पूरा ज्ञान नहीं है। अनपढ़ व्यक्ति देश की समस्याओं को ठीक प्रकार से नहीं समझ सकते। उनका दृष्टिकोण संकुचित होता है और वे जातिवाद, भाषावाद तथा सम्प्रदायवाद की भावनाओं में पड़े रहते हैं। अनपढ़ता के कारण देश में राजनीतिक समस्याओं के बारे में स्वस्थ जनमत का निर्माण नहीं हो सकता। अतः निरक्षरता लोकतन्त्र की सफलता में बाधक बनती है।
लोकतंत्र की समस्याओं को दूर करने के उपाय
⦁ सरकार द्वारा लोकतन्त्र में व्याप्त समस्याओं के निराकरण के लिए निम्न उपाय अपनाये जा सकते हैं|
⦁ चुनावों में धर्म तथा जाति के प्रयोग में कड़ी पाबन्दी लगा देनी चाहिए, धर्म अथवा जाति के आधार पर राजनैतिक । दलों के गठन को रोका जाए और चुनावों के दौरान धर्म अथवा जाति के आधार पर वोट माँगने वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर देना चाहिए।
⦁ नागरिकों में सामाजिक व आर्थिक असमानता को दूर करने के उपाय करने चाहिए।
⦁ नागरिकों को शिक्षित करने का प्रबन्ध करना चाहिए। शिक्षित तथा राजनीतिक दृष्टि से जागरूक नागरिक ही कुशल ईमानदार तथा निःस्वार्थी प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकते हैं।
⦁ समाज में लोकतंत्रीय मूल्यों का विकास करना चाहिए, प्रत्येक नागरिक को चाहिए कि वह अन्य नागरिकों के अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं का आदर करें।