आजकल समाचार-पत्रों में ठगी, डकैती, चोरी, तस्करी और भ्रष्टाचार के समाचार भरे रहते हैं। आरोप-प्रत्यारोप का कुछ ऐसा वातावरण बन गया है कि लगता है, देश में कोई ईमानदार आदमी रह नहीं गया है। हर व्यक्ति सन्देह की दृष्टि से देखा जा रहा है। जो जितने ऊँचे पद पर हैं, उनमें उतने ही अधिक दोष दिखाए जाते हैं। बेईमान, स्वार्थी, धूर्त लोग फल-फूल रहे हैं किन्तु गरीब, ईमानदार और श्रमजीवी लोग दिनोंदिन पिस रहे हैं। समाज में जो भीरु और बेबस लोग हैं, उन्हें दबाया जाता है। ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। जीवन के महान नैतिक मूल्यों एवं आदर्शों का मजाक उड़ाया जा रहा है। इसलिए जीवन के महान मूल्यों के बारे में आज हमारी आस्था हिलने लगी है।