अकाल – प्रकृति का अभिशाप
[प्रस्तावना – प्रकृति का रौद्र रूप -अकाल का स्वरूप – अकाल : में लोगों का जीवन -अकाल-पीड़ितों की सहायता -अकाल को : रोकने के उपाय – उपसंहार]
सौंदर्य, प्रेम तथा संवेदनाओं से भरी प्रकृति कभी-कभी रुष्ट भी : हो जाती है। उसका कोप कोई भी रूप ले सकता है। अकाल प्रकृति : के कोप का ही एक भयंकर रूप है। भारत जैसे कृषि-प्रधान देश के लिए अकाल किसी अभिशाप से कम नहीं है।
अकाल का प्रमुख कारण अनावृष्टि है। कभी-कभी कहीं एक वर्ष या कई वर्षों तक वर्षा नहीं होती। वर्षा के अभाव में धरती को पानी नहीं मिल पाता। सूर्य के लगातार ताप से धरती की नमी सूख जाती है। नदियाँ और तालाब भी सूख जाते हैं। कुओं का जलस्तर घट जाता है। इस स्थिति में खेतों में बीज बोने का कोई अर्थ नहीं होता। सिंचाई के लिए पर्याप्त जल न होने से खेती की कल्पना ही नहीं की जा सकती। पेय जल का भी संकट खड़ा हो जाता है।
अकाल की ऐसी स्थिति में जीना मुश्किल हो जाता है। आकाश में बादल तो आते हैं, पर वे निराशा के सिवाय और कुछ नहीं देते। खाद्यान्नों के दाम आसमान छूने लगते हैं। महंगाई की ज्वाला में झुलसते हुए लोग त्राहि-त्राहि पुकारने लगते हैं। गरीबों का जीना मुश्किल हो जाता है। पेट की आग बुझाने में उनके जानवर ही नहीं, घर के बर्तन तक बिक जाते हैं। गांवों की चहल-पहल वीरानी में बदल जाती है। घास-चारे के अभाव से मवेशी दम तोड़ने लगते हैं।
स्वतंत्रता से पहले भारत में अकाल-पीड़ितों को भयंकर यातनाएं झेलनी पड़ती थीं। लेकिन आज हमारे देश में ऐसी स्थिति नहीं है। अकाल पीड़ितों को हर तरह की सहायता दी जाती है। प्रादेशिक सरकारें उन्हें रोजगार और अनाज देती हैं। केंद्र सरकार भी उन्हें धन और अन्न मुहैया कराती है। सामाजिक संस्थाएं भी अकाल-पीड़ितों की मदद के लिए दौड़ पड़ती हैं। देशभर के कलाकार अकालग्रस्तों की मदद करने के लिए सहायता-कार्यक्रम करते हैं। लोगों को पेय जल पहुंचाने के लिए टेंकरों का उपयोग किया जाता है। नलकूप लगाए जाते हैं और नए कुएं खोदे जाते हैं।
अकाल जैसी बुरी स्थितियों को पैदा करने में लोगों का भी दोष होता है। आजकल पर्यावरणशास्त्री अकाल की रोकथाम करने में लगे हुए हैं। वृक्षारोपण की प्रवृत्ति को राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहित किया जा रहा है। वनों की कटाई पर कानूनी प्रतिबंध लगा दिया गया है। नदियों पर विशाल बाँध बनाए गए हैं। कुओं-तालाबों को अधिक गहरा किया जा रहा है। परमाणु शक्तिवाले देशों से संहारक शस्त्रों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहा जा रहा है।
अकाल राष्ट्र की विकासगामी योजनाओं का शत्रु है। इसके कारण प्रगति की ओर बढ़ते हुए चरण रुक जाते हैं। इसलिए अकाल के दैत्य से बचने के लिए प्रभावी उपाय करने चाहिए। खुशी की बात है कि अब लोग इस दिशा में जाग्रत होने लगे हैं।