कवि अपनी कल्पना-शक्ति के द्वारा जगत के स्रष्टा ब्रह्मा के साथ होड़ करना अनुचित नहीं समझते हैं। इसका कारण यह है कि जगत-स्रष्टा ब्रह्मा तो एक ही बार जो कुछ बन पड़ा, सृष्टि-निर्माण कौशल दिखाकर मुक्त हो गए, पर कवि अपनी कल्पना-शक्ति के द्वारा नित्य नई-नई रचनाएं गढ़कर सृष्टि-निर्माण चातुरी दिखलाते रहते हैं।