सच है, लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियाँ बाधक होती है । क्योंकि इन्द्रियाँ सदैव अपने आपको तुष्ट करने का प्रयत्न करती हैं । मनुष्य उन्हें तुष्ट करने के फेर में अपना अधिकांश समय-शक्ति व्यर्थ ही गँवा देता है । कई बार तो उसे न करने जैसे कार्यों की ओर भी प्रवृत्त करती हैं । मनुष्य दिशा भ्रमित और पथभ्रष्ट हो जाता है । वह अपने लक्ष्यवेध को चूकता ही नहीं, वरन् भूलता ही जाता है । अतः इन्द्रियों को अपने वश या नियंत्रण में रखना आवश्यक नहीं अनिवार्य है । कायिक अर्थात् शारीरिक श्रम, मिताहार से भी इन्द्रियाँ नियंत्रण में रहती हैं।