मिश्र अर्थतंत्र अर्थात् ऐसी आर्थिक पद्धति जिसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र एकदूसरे के प्रतिस्पर्धी नहीं परंतु पूरक बनकर काम करते है ।
- इस पद्धति में कृषि, व्यापार, छोटे-बड़े से माल के उद्योगों आदि की मालिकी व्यक्तिगत (निजी) होती है ।
- जबकि भारी उद्योग, संरक्षण सामग्री के कारखाने, रेलवे, बीजली, मार्ग, सिंचाई आदि आधारभूत, चाबीरूप क्षेत्रों की मालिकी राज्य की होती है ।
- इस पद्धति में बाजार संपूर्ण स्वतंत्र नहीं होती । सरकार द्वारा भिन्न भिन्न रूप से अंकुश लगाया जाता है । इसी तरह पिछड़े क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना के लिए राज्य द्वारा सबसीडी, कर में राहत आदि प्रोत्साहन दिया जाता है ।
- इस प्रकार मिश्र अर्थतंत्र एक ऐसी आर्थिक पद्धति है जिसमें आर्थिक निर्णयों की प्रक्रिया में आर्थिक आयोजन को मुख्य स्थान दिया जाता है । इसके लिए सार्वजनिक और निजी साहसों का सह-अस्तित्व स्वीकारा जाता है ।
- इस पद्धति में अंकुश और नियंत्रण होने से ‘नियंत्रित आर्थिक पद्धति’ के रूप में पहचाना जाता है । भारत, फ्रांस आदि देशों में मिश्र अर्थतंत्र पाया जाता है ।