कहावत है – “विनाश आसान है, निर्माण कठिन है।’ निर्माण का अर्थ है किसी वस्तु को जन्म देना। मनुष्य को अपनी निर्मित वस्तु से उतना ही प्यार और लगाव होता है, जितना अपनी संतान से। जितनी तकलीफ उसे अपने बच्चे पर पड़नेवाले कष्ट से होती है, उतनी ही तकलीफ उसे अपने हाथों से निर्मित वस्तु के विनाश से होती है। मकान से तो मनुष्य का इतना अधिक लगाव होता है कि जर्जर अवस्था में भी वह उसे नहीं छोड़ना चाहता।।
उपर्युक्त पंक्तियों में अविनाश का उस मकान से तब से संबंध रहा है, जब उसकी नींव पड़ रही थी। नींव पड़ने से लेकर पूरा मकान बनने तक वह उससे जुड़ा रहा है। इस तरह मकान-निर्माण में अविनाश का पूर्ण सहयोग रहा था, अतः उसके मुंह से उपयुक्त विधान सहज रूप से निकलता है।