आर्थिक नीतियों के संदर्भ में सिद्धांत : आर्थिक नीतियों के निर्माण में अनेक महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों का समावेश किया गया है, जो निम्न अनुसार है ।
- सभी नागरिकों का महत्तम कल्याण तथा उद्देश्यपूर्ण हो, इस प्रकार से समाज के भौतिक साधनों की मालिकी तथा नियंत्रण का विभाजन करना ।
- सम्पत्ति तथा उत्पादन के साधनों का किसी एक समूह या वर्ग में केन्द्रीकरण न हो, राज्य द्वारा एक ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना ।
- पुरुषों तथा स्त्रियों को समान काम के लिए समान वेतन प्राप्त हो, राज्य ऐसा प्रयास करेंगे ।
- कार्यस्थल पर सभी कर्मचारियों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे, ऐसी मानवीय परिस्थिति का निर्माण करना । स्त्री-पुरुषों तथा कम आयुवाले बालकों का आर्थिक मजदूरी के कारण स्वास्थ्य बिगड़े ऐसे कामधन्धे या बिन आरोग्यप्रद स्थलों पर तथा जोखिमपूर्ण कार्य न करना पड़े ।
- औद्योगिक इकाइयों में संचालन प्रक्रिया में कर्मचारियों की भागीदारी के लिए राज्य प्रयास करेगा ।
- आर्थिक समस्याओं के कारण किसी बालक का शोषण न हो, वह स्वस्थ तथा स्वतंत्र रूप से गौरवपूर्ण स्थिति में तन्दुरस्त विकास कर सके, इसके लिए आवश्यक अवसर तथा सुविधाएँ उत्पन्न करने के लिए राज्य आवश्यक कदम उठाएँगे ।
- स्त्रियों को प्रसूति के समय आवश्यक अवकाश तथा सुविधाएँ पूरी की जायें । कर्मचारी राज्य बीमा कानून, बोनस धारा, प्रसूति अवकाश धारा, ग्रेज्युइटी धारा आदि कानून मानवीय आधार पर प्राप्त हों, इस आशय से इन सिद्धांतों का निर्माण किया गया है ।
- कृषि तथा पशुपालन का आधुनिक और वैज्ञानिक स्तर पर विकास हो, राज्य ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे । गायों, बछड़ों, अन्य दुधारू प्राणियों, भारवाहक प्राणियों बैलों, गायों, गधों आदि के कत्ल को रोकने का प्रयास करेंगे ।
- राज्य में सबको समान न्याय प्राप्त हो । आर्थिक या असमर्थता के कारण किसी भी जरूरतमंद नागरिक को न्याय प्राप्त करने के अवसर का इन्कार नहीं किया जाय तथा उसे मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त हो सके, राज्य ऐसी व्यवस्था करे तथा इस प्रकार के कानूनों का निर्माण करें ।