अर्थ: भारत के संविधान में राज्य के लिए कुछ मार्गदर्शक सिद्धान्तों का समावेश किया गया है । हम किस प्रकार के भारत का निर्माण करना चाहते हैं, किस प्रकार की समाज रचना करना चाहते हैं इस दर्शन का मार्गदर्शन इन मार्गदर्शक सिद्धान्तों में प्रस्तुत किया गया है । ये सिद्धान्त सरकार को मार्गदर्शन देनेवाले सिद्धान्त होने के कारण, इन्हें ‘राजनीति के मार्गदर्शक सिद्धान्त’ कहा जाता है ।
उद्देश्य: इन आधारभूत सिद्धान्तों का उद्देश्य ‘लोककल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है । न्याय पर आधारित समाज व्यवस्था स्थापित करना है ।
डॉ. अम्बेडकर के शब्दों में ‘हमने अपने संविधान में राजकीय लोकतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया है । ये सिद्धान्त राज्य को सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र स्थापित करने का मार्गदर्शन देते है ।
नीति निर्देशक सिद्धांतों का महत्त्व:
- ये सिद्धांत सभी नागरिकों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय दिलाकर, सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करते हैं ।
- भारत को लोककल्याणकारी राज्य बनाने में इनका बहुत महत्त्व है ।
- नीति निर्देशक तत्त्व से राज्य की नीति में स्थायित्व आता हैं ।
- इन तत्त्वों से लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ हैं, जिससे सत्ता में स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ रही है ।
- इन तत्त्वों की अनुपालना से विश्व शान्ति और मानवता की भावना का विकास होता है ।
- मादक द्रव्यों व पदार्थों के सेवन पर राज्य रोक लगा देता है तो व्यक्ति में नैतिक मूल्यों का विकास हो सकता है ।