स्थानांतरण के सकारात्मक प्रभाव के साथ कुछ अनिच्छनीय घटनाएँ भी देखने को मिलती हैं । जिसे नकारात्मक असर कहते हैं ।
नकारात्मक असर निम्नानुसार हैं :
(1) अनियंत्रित शहरीकरण : गाँव में से अल्पशिक्षित, अकुशल, अल्प कौशल्य रखनेवाले गाँव के गरीब लोग शहरों में स्थानांतरण करते हैं तब नीची आय के कारण शहरों के अंतिम छोर पर अनिवार्य रुप से निवास करना पड़ता है । परिणाम स्वरूप अनियंत्रित शहरीकरण की समस्या सर्जित होती है । कम आय वाले लोगों को अच्छा मकान खरीदने के लिए पैसा न होने से नदी के किनारे, खुली जगह पर, सड़क के किनारे, झोपड़पट्टी का निर्माण करके निवास करते हैं परिणाम स्वरूप झोपड़पट्टी एवं गंदे क्षेत्रों का निर्माण होता है ।
(2) ढाँचागत सुविधाओं का अपर्याप्त प्रमाण : अनियत्रंति शहरीकरण के कारण झोपड़पट्टी और गंदे आवासों के कारण स्थानिक प्रशासन उन्हें पर्याप्त प्रमाण में पानी, ड्रेनेज, बिजली, रास्ते, वाहनव्यवहार, संदेशाव्यवहार, शौचालय, शिक्षा, स्कूल, आरोग्य आदि जैसी ढाँचाकीय सुविधाएँ उपलब्ध करवाने में निष्फल जाता है । जिससे आरोग्य और स्वच्छता की समस्या खड़ी होती है । ऐसे गरीब लोग अनेक बीमारियों के शिकार बनते हैं ।
(3) पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या : स्थानांतरण के कारण झोपड़पट्टी एवं गंदे क्षेत्रों का सर्जन होता है ऐसे झोपड़पट्टी और गंदे आवासों में शौचालय एवं ड्रेनेज की अपर्याप्त सुविधाएँ एवं कचरे का उचित निकाल न होने से पर्यावरणीय प्रदूषण की समस्या खड़ी होती है । जिसके उदाहरण अहमदाबाद, अंकलेश्वर, सूरत, मुम्बई, कोलकता, दिल्ली जैसे शहरों में देख सकते हैं । अत्याधिक शहरीकरण के कारण वाहनों की संख्या बढ़ने से ट्राफिक की समस्या एवं प्रदूषण की समस्या खड़ी होती है । इसी प्रकार ध्वनिप्रदूषण, जलप्रदूषण की गंभीर समस्या देखने को मिलती है ।
(4) सामाजिक दूषण : जब गाँव में से शहरों में स्थानांतरण करके जो लोग शहरों में आते हैं । तब उन्हें उनकी अपेक्षा के अनुसार नियमित आय या रोजगार प्राप्त नहीं होता है । परिणाम स्वरूप इनमें से कुछ लोग चोरी, लूट जैसे असामाजिक कार्यों की ओर मुड जाते हैं । जिससे शहरों का सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है । इसे सामाजिक दूषण कहते हैं । स्थानांतरण के परिणाम स्वरुप प्रजा के बीच भाषा-संस्कृति, रहन-सहन आदि कारण सामाजिक संघर्ष खड़ा होता है ।