शिक्षित बेरोजगारी और युवा बेरोजगारी घटाने के लिए उनमें कौशल्य का विकास करना और शिक्षा के अनुसार रोजगार उपलब्ध करवाना।
- कुशल कारीगर पैदा हो ऐसी व्यवसायलक्षी या तकनिकी शिक्षणनीति अपनानी ।
- विद्यालयों-कॉलेजों के अभ्यासक्रम वहाँ के स्थानीय उद्योगों की जरूरतों को संतुष्ट कर सके ऐसे रखना ।
- युवा बेरोजगारों को शिक्षण और प्रशिक्षण देकर उनमें विशिष्ट कौशल्यों का विकास करके, उत्पादन के साथ गुणवत्ता बढ़े, रोजगारी बढ़े, अधिक आय मिले और जीवनस्तर ऊँचे आये ऐसे प्रयत्न करने चाहिए ।
- उन्हें सतत काम मिल सके ऐसा आश्वासन देना ।
- काम की नयी परिस्थिति के अनुसार नयी जानकारी प्राप्त करके उन्हें योग्य, सक्षम बनाकर स्वरोजगार प्राप्त कर सके और वैश्विक देशों की श्रमशक्ति की तुलना में वैश्विक स्तर पर भारतीय युवा समकक्ष खड़ा रह सके ऐसी परिस्थिति सर्जित करने के प्रयत्न करें ।