कर्मचारी व्यवस्था का महत्त्व के बारे में एक विद्वान ने कहा था कि, ‘तुम अपने कर्मचारियों का ध्यान रखो, वे शेष बातों का ध्यान तुम्हारे लिए रखेंगे !’ (Mind your men, men will mind everything for you.’) इस तरह कर्मचारी व्यवस्था का महत्त्व निम्न बिन्दुओं द्वारा जान सकते है ।
- चालक बल : सन्तुष्ट और कार्यनिष्ठ कर्मचारी इकाई का चालक बल है । उत्पादन के अन्य साधनों के साथ में कर्मचारी होते
है तभी ध्येय प्राप्ति में सरलता रहती है ।
- प्रवृत्तियाँ गतिशील रहती है : धन्धाकीय इकाई में योग्य कर्मचारी व्यवस्था द्वारा प्रत्येक प्रवृत्तियाँ गतिशील बनती है ।
- संचालन के अन्य कार्यों के लिए आवश्यक : संचालकन के अन्य कार्य जैसे कि आयोजन, व्यवस्थातंत्र, संकलन, मार्गदर्शन व नियंत्रण इत्यादि कार्यों हेतु कर्मचारी व्यवस्था जरूरी है ।
- इकाई के हाथ व पैर : संचालन में आयोजन का कार्य मानव के शरीर में मस्तिष्क के समान है, तो कर्मचारी व्यवस्था मानव शरीर के हाथ-पैर के समान है । उनके बिना इकाई की प्रवृत्तियाँ नहीं की जा सकती है ।
- कर्मचारियों में संतोष : कर्मचारियों की शिकायते, कठिनाइयों को समझकर उनका शीघ्र निराकरण किया जा सकता है । इकाई के कार्यों का योग्य आयोजन व उनके कार्य के योग्य वितरण के कारण ही कर्मचारियों में संतोष की भावना का निर्माण होता है ।
- संबंधों में संवादिता का निर्माण : इकाई में योग्य कर्मचारी व्यवस्था के कारण संतोषजनक वातावरण का निर्माण होता है ।
जिससे मालिक व कर्मचारियों के मध्य के सम्बन्धों में संवादिता बनी रहती है ।
- प्रतिष्ठा में वृद्धि : इकाई में संतुष्ट और कार्यनिष्ठ कर्मचारी अमूल्य सम्पत्ति है । जिससे धन्धाकीय इकाई की प्रतिष्ठा बढ़ती है ।
- निरन्तर प्रक्रिया : कर्मचारी बिना इकाई का अस्तित्व सम्भव नहीं । जहाँ तक इकाई की प्रवृत्तियाँ चालू रहती है वहाँ तक कर्मचारी भी रहेंगे और कर्मचारी व्यवस्था का अस्तित्व भी रहेगा । अत: कर्मचारी व्यवस्था निरन्तर प्रक्रिया कहलाती है ।