ग्राहकों के दृष्टिकोण से ग्राहक सुरक्षा का महत्त्व (Importance of Consumer Protection from the view point of Consumer) निम्न है :
(1) ग्राहकों का व्यापक शोषण : धन्धाकीय इकाइयाँ असुरक्षित उत्पाद मिश्रण, असत्य तथा गलत मार्गवाला विज्ञापन, काला बाजार, संग्रहखोरी जैसी अनैतिक व शोषणयुक्त नीतियों द्वारा ग्राहकों का शोषण करके अधिक लाभ कमाने के प्रयत्न करते हुए दिखाई देते है । धन्धाकीय इकाई की ऐसी असत्य एवं अनुचित नीति के सामने ग्राहकों को सुरक्षा प्रदान करना बहुत ही अनिवार्य हो जाता है ।
(2) ग्राहकों को जानकारी का अभाव : ग्राहकों को अपने अधिकारों और कानून द्वारा मिलनेवाली छूट के बारे में विशेष जानकारी नहीं होती अथवा जानते भी हैं अपितु ऐसे कदम उठाने में हिचकिचाते है क्योंकि वो इसके बारे में कानूनी प्रक्रिया के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती अथवा गलत जानकारी रखते है । ग्राहकों को अपने अधिकारों के बारे में जागृत करना बहुत जरूरी है और इसके साथ ही कानून द्वारा मिलनेवाली रियायत/टूट और वह उसके लिये कानूनी प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी उन तक पहुँचाना अत्यन्त आवश्यक है ।
(3) बिन-संगठित ग्राहक : कोई भी एक व्यक्ति ग्राहक के रूप में कमजोर सिद्ध हो सकता है परन्तु असंख्य ग्राहक संगठित होकर अपने ग्राहक सुरक्षा इकाई द्वारा अपने हितों का रक्षण बहुत ही अच्छी तरह से कर सकते हैं । भारत में भी ऐसी ग्राहक सुरक्षा हेतु संस्थायें कार्यरत हुई हैं फिर भी वह ग्राहक सुरक्षा संस्थाये काफी मजबूत बने वहाँ तक ग्राहकों को कानून द्वारा सुरक्षा प्रदान करना अत्यन्त जरूरी होता है ।