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राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति को समझाइए ।

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राष्ट्रीय आय मापने की खर्च की पद्धति प्रो. फिशर की परिभाषा पर विकसित की गयी है । एक वर्ष के दरम्यान व्यक्तियों, परिवारों, इकाईयों और सरकार चीजवस्तुओं और सेवाओं पर जो कुल मुद्राकीय खर्च किया जाता है उसके योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं । खर्च की पद्धति में एक वित्तीय वर्ष दरम्यान अंतिम वस्तुओं और सेवाओं की खरीदी के पीछे जो खर्च होता है उसका समावेश होता है । एक आर्थिक वर्ष दरम्यान कुल खर्च GDP जितना होता है ।

इस पद्धति में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होता है :

(1) मुद्राकीय खर्च के चार घटक हैं :

  • उपभोग खर्च : नागरिकों, परिवारों, व्यावसायिक इकाईयों द्वारा उपयोगी वस्तुओं के पीछे किया जानेवाला खर्च गिना जाता है । टी.वी., स्कूटर, कार जैसी टिकाऊ वस्तुएँ अनाज, फल, शाक-सब्जी जैसी नाशवंत वस्तुएँ तथा शिक्षा, डॉक्टरी सेवा, परिवहन, संचार जैसी सेवाओं के पीछे किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • पूँजी निवेश खर्च : नागरिक, परिवार, व्यावसायिक इकाईयाँ जो पूँजीनिवेश खर्च को गणना में लिया जाता है । जैसे : कारखाना, मकान, प्लान्ट, यंत्रसामग्री व्यवसाय के लिए किए गए खर्च का समावेश किया जाता है ।
  • सरकारी खर्च : केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों द्वारा उपयोग खर्च, पूँजीनिवेश खर्च, प्रशासनिक खर्च आदि का समावेश किया जाता है ।
  • शुद्ध निर्यात खर्च : देश के नागरिकों का विदेशी वस्तुओं के आयात के पीछे का खर्च देश का खर्च है और अपनी निर्यातों में से विदेशी नागरिक अपनी वस्तुओं के पीछे खर्च करते हैं । अर्थात् अपने को आय प्राप्त होती है । इसके दोनों के पीछे अन्तर को शुद्ध निर्यात है जिसका समावेश राष्ट्रीय आय में करते हैं । कुल राष्ट्रीय आय = उपभोग खर्च + पूँजी निवेश खर्च + सरकारी खर्च + शुद्ध निर्यात खर्च ।

(2) राष्ट्रीय आय में न गिना जानेवाला खर्च : राष्ट्रीय आय में निम्नलिखित खर्च का समावेश नहीं होता है :

  1. सेकन्ड हेन्ड वस्तुओं के पीछे किया गया खर्च
  2. स्थानांतरण का खर्च
  3. पेन्शन, बेकारी भत्था, विधवा सहाय आदि ।
  4. पुराने शेयर के पीछे किया गया खर्च
  5. बीच में ही उपयोग की गयी वस्तु के पीछे किया खर्च

(3) राष्ट्रीय आय की गणना में कठिनाइयाँ : खर्च की पद्धति में व्यक्तियों द्वारा किये गए खर्च के आधारभूत आँकड़े मिलते नहीं है । जिससे राष्ट्रीय आय की गणना कठिन बन जाती है । जैसे अभय नाम का उद्योगपति उसके एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु को वेतन के 30,000 रु. चुकाता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है । एकाउन्टेन्ट अभिमन्यु उसके घर में साफसफाई के लिए आनेवाली खुशबू को 3000 देता है और उसे खर्च के रूप में गिनता है तो वास्तव में खर्च कितना 30000 या 30000 + 3000 = 33000 ? इस प्रकार खर्च में दोहरी गणना होती है।

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