सविनय अवज्ञा आन्दोलन के रूप में गाँधीजी ने दांडीगाँव के समुद्र किनारे जाकर नमक कानून को भंग करने का निश्चय किया था ।
- 12 मार्च, 1930 के दिन अहमदाबाद के साबरमती हरिजन आश्रम से ‘वैष्णव जन तो तेने रे कहिये, जे पीर पराई जाने रे’ गवाया और ‘भजे नरसैयों तेनुं दर्शन करता कुल इकोत्तर तार्य रे’, पूरा होने पर महाप्रयाण शुरू किया ।
- गाँधीजी ने कहा ‘कौवे-कुत्ते की मौत मरूँगा परंतु जबतक स्वराज्य नहीं मिलेगा तब तक आश्रम में वापस नहीं आऊँगा ।’
- गाँधीजी के नेतृत्व में सरोजिनी नायडू, महादेवभाई देसाई सहित 78 सहयोगियों ने आन्दोलन आरंभ किया ।
- दांडीयात्रा में जिस रास्ते से गुजरे वहाँ सफाई करते, पानी छिड़ककर तोरण बाँधते गये ।
- गाँधीजी 370 कि.मी. की यात्रा 24 दिनों में पूरी करके 5 अप्रैल, 1930 के दिन दांडी पहुँचे ।
- 6 अप्रैल, 1930 की सुबह 6:30 बजे मुट्ठी भर नमक उठाकर गाँधीजी ने कहा ‘मैंने नमक कानून तोड़ दिया’ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की ईमारत की नींव में नमक लगा रहा हूँ ।’
- इस तरह सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू हुआ ।
- दांडीकूच के दौरान विदेशी कपड़ों की होली जलाना, शराबबंदी, बहिष्कार, हिन्दु-मुस्लिम एकता, अस्पृश्यता निवारण आदि रचनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया था ।
- दांडीयात्रा और नमक सत्याग्रह से आई जागृति के कारण असहयोग आन्दोलन और सत्याग्रह के कार्यक्रम देशभर में शुरू हुए ।