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ई-कॉमर्स सेवाओं के कार्यक्षेत्र समझाइए ।

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ई-कॉमर्स सेवाओं का कार्यक्षेत्र निम्नानुसार है ।

(1) धन्धे से ग्राहक : B2C : (Business to Customer)
(2) धन्धा से धन्धा : B2B : (Business to Business)
(3) ग्राहक से ग्राहक : C2C : (Customer to Customer)
(4) ग्राहक से धन्धा : C2B : (Customer to Business)

(1) धन्धा से ग्राहक (B2C) : इसमें एक तरफ व्यापारी तथा दूसरी तरफ ग्राहक होता है । इन्टरनेट के माध्यम से वेबसाईट का उपयोग करके व्यापारी ग्राहकों को अपने उत्पादन तथा सेवाओं का विक्रय करते है । ग्राहक किसी भी स्थान से किसी भी समय पर मनपसन्द वस्तुएँ क्रय करने हेतु ऑर्डर दे सकते है । विक्रेता अपनी वस्तु किसी भी मध्यस्थी के बिना सीधा ही विक्रय ग्राहकों को कर सकते है । क्रेता एक स्वतंत्र ग्राहक है । Online क्रय का यह उत्तम उदाहरण कहलाता है । वस्तु के फुटकर विक्रय के अलावा B2C में online बैंकिंग, परिवहन सुविधाएँ जैसी अनेक सेवाओं का समावेश किया गया है ।

(2) धन्धा से धन्धा : (B2B) : इसमें दोनों पक्षकार धन्धाकीय इकाइया अथवा धन्धार्थी होते है । आज के स्पर्धात्मक युग में धन्धाकीय इकाइयों को एकदूसरे पर आश्रित रहना पड़ता है । B2B व्यापार इन आश्रितों को सरल व अधिक असरकारक बनाती है । B2B की मदद से व्यापारियों की सामान्य धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ जैसे कि आपूर्ति का व्यवस्थापन माल-सामग्री की सूची का व्यवस्थापन, भुगतान का व्यवस्थापन इत्यादि की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है ।

(3) ग्राहक से ग्राहक : (C2C) : इस व्यवस्था में ग्राहक से ग्राहक के व्यापार की प्रवृत्तियाँ जुड़ी हुई है । वेबसाईट पर इन्टरनेट के उपयोगकर्ता विक्रेता व क्रेता दोनों ग्राहक बनते है । किसी भी मध्यस्थी बिना ग्राहकों को क्रय-विक्रय की online सुविधा प्राप्त होती है । इसका एक उदाहरण निलामी (हराजी) की साईट (E-Auction) है । यदि ग्राहक को कोई वस्तु विक्रय करनी हो तो वो वह वस्तु हराजी की साईज पर की सूची में शामिल करता है और अन्य व्यक्तियों उनकी बोली लगाते हैं । अधिक मूल्य/कीमत देनेवाला वस्तु को क्रय करता है । इसके अलावा olx.com, quicker.com में विक्रेता ग्राहक अपनी वस्तु की माहिती तथा विक्रय मूल्य रखते है और क्रेता के साथ बातचीत होने के बाद क्रय-विक्रय की प्रक्रिया होती है ।

(4) ग्राहक से धन्धा (C2B) : ई-कोमर्स की यह सेवा ग्राहकों के लिए अनुकूल हो अथवा तो निश्चित उत्पादन या सेवा के लिए ग्राहक चुकाना चाहते हो तब मूल्य की व्यापक श्रेणी में उत्पादन व सेवा की पसन्दगी मिलती है । ऐसी सेवाओं या उत्पादन करनेवाली धन्धाकीय इकाइयाँ उत्पादन व सेवा के लिए अपने विक्रय की शर्ते व कीमत बताती है । यह पद्धति भाव-ताव में होनेवाले समय को घटाते है तथा ग्राहक और धन्धाकीय इकाई दोनों की परिवर्तनशीलता को बढ़ाते हैं । इस प्रक्रिया में ग्राहक द्वारा भुगतान निश्चित किया जाता है ।

ई-कॉमर्स की इसके अलावा भी कई अन्य व्यवस्था है । जिसमें सरकार को एक स्वायत्त अस्तित्व मान लें तो निम्न व्यवस्था अस्तित्व में आती है ।

  1. सरकार से धन्धा
  2. सरकार से नागरिक
  3. सरकार से सरकार

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