On Line व्यवहार की प्रक्रिया के सोपान निम्नलिखित है :
(i) रजिस्ट्रेशन : ओन लाईन व्यवहार में क्रय करने से पहले ग्राहक को रजिस्ट्रेशन फार्म भरकर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है । रजिस्ट्रेशन कराना अर्थात् विक्रेता के वहाँ ओन लाईन खाता खुलाना । ओन लाईन व्यवहार में रजिस्ट्रेशन अर्थात् sign up होना । इसके लिए ई-फॉर्म में खाता खुलानेवाले का नाम, पता, फोन नम्बर जैसी जानकारी देनी पड़ती है । इसके बारे में व्यवहार करने के लिए पासवर्ड भी दिया जाता है । खाते से सम्बन्धित जानकारी इस पासवर्ड से सुरक्षित रखी जाती है । जिससे सम्बन्धित खाते में कोई अन्य व्यक्ति प्रवेशी (Log In) न सके ।
(ii) ऑर्डर देना : ओन लाईन क्रय सकते समय विभिन्न वस्तुएँ पसन्द करके शोपिंग कार्ट में रख सकते है । (शोपिंग कार्ट यह ओन लाईन क्रय के समय क्रेता द्वारा पसन्द की हुई वस्तुओं की सूची है) इस शोपिंग कार्ट में क्रय की सूची तैयार करने के बाद उसके आगे के विकल्प पर जाकर वित्त के भुगतान का विकल्प पसन्द कर सकते है ।
(iii) वित्त भुगतान तंत्र : ओन लाईन खरीदी में वित्त का भुगतान विभिन्न रूप से हो सकता है । जैसे कि केश ऑन डिलिवरी, चेक, नेट बैंकिंग ट्रान्सफर, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या डिजीटल केश इत्यादि ।
वित्त भुगतान की प्रक्रिया : ओन लाईन खरीदी में वित्त का भुगतान विभिन्न प्रकार से हो सकता है ।
(1) Cash on Delivery केश ऑन डिलीवरी (COD) : वित्त भुगतान की इस पद्धति में ग्राहक द्वारा क्रय की हुई वस्तु उनके मंगाए गए पते पर मिलती है तब उनका भुगतान करना होता है ।
(2) चेक (Cheque) : ओन लाईन व्यापारी ग्राहक के पक्ष से चेक प्राप्त करने की व्यवस्था भी कर सकता है । वस्तु को क्रय करनेवाला व्यक्ति विक्रेता को चेक देता है । विक्रेता व्यापारी इस चेक की रकम अपने खाते में जमा होने के बाद वस्तु भेजता है ।
(3) Net Banking Transfer नेट बैंकिंग ट्रान्सफर : वर्तमान समय में विभिन्न बैंक इन्टरनेट के माध्यम से वित्त का भुगतान या हस्तांतरण की सुविधा भी ग्राहकों को प्रदान करते है । इस प्रक्रिया में क्रेता चुकाने योग्य रकम अपनी बैंक के खाते में से ओन लाईन विक्रय करनेवाले व्यापारी के खाते में ट्रान्सफर कराते है । यह रकम ट्रान्सफर/हस्तांतरण होने के बाद माल भेजा जाता है ।
(4) Credit Card एवं Debit Card : इस प्रकार के कार्ड को प्लास्टिक के रु. में रूप में भी पहचाना जाता है । यह कार्डस ओन लाईन वित्तीय व्यवहार हेतु बड़े पैमाने में उपयोग में लिये जाते है । Credit Card देनेवाली बैंक कार्ड धारक को शाख पर क्रय करने की सुविधा देती है । कार्ड धारक को ओन लाईन व्यापारी को भुगतान की रकम सम्बन्धित बैंक चुका देती है । इसके पश्चात् निर्धारित समय में कार्ड धारक यह रकम बैंक को चुका देती है । कार्ड धारक को किस्त में अथवा अपनी सुविधा अनुसार निर्धारित समय में रकम चुकाने की स्वतंत्रता रहती है ।
Debit Card धारक व्यक्ति को अपने बैंक खाते में जमा रकम जितनी ओन लाईन खरीदी करने की सुविधा मिलती है । Debit Card के माध्यम से ओन लाईन व्यवहार होते है तब तुरन्त ही कार्ड धारक के बैंक खाते में से उतनी रकम चुकाई जाती है ।
(5) डिजिटल केश-: यह एक इलेक्ट्रोनिक चलन है जो मात्र सायबर स्पेस (इन्टरनेट के विश्व) में ही अस्तित्व प्राप्त है । ऐसा चलन कोई भौतिक अस्तित्व के स्वरूप में नहीं होता, परन्तु बैंक ग्राहक के वास्तविक चलन को इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में उपयोग की सुविधा प्रदान करती है । ग्राहक ने बैंक को आवश्यकतानुसार की डिजिटल केश जितनी वास्तविक रकम चुकानी रहती है । उसके बाद ई-केश का फार्म सम्भालनेवाली बैंक ग्राहक को एक विशेष सोफ्टवेर भेजती है । जिसके माध्यम से ग्राहक के खाते में डिजिटल केश प्राप्त किया जा सकता है । ओन लाईन खरीदी के लिए यह डिजिटल कोष उपयोग किया जा सकता है ।