
(1) स्थानिक साहस : जो साहस अपनी धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ राजकीय सीमाओं तक ही सीमित रख्खे तो उन्हें स्थानिक साहस कहा जाता है।
(2) वैश्विक साहस :
- धन्धाकीय इकाई राष्ट्रीय सीमाओं के बाहर अर्थात् एक से अधिक देशों में धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ फैलाएँ तो उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय साहस कहा जाता है ।
- स्थानिक बाजार के अनुभव का उपयोग करके अपनी धन्धाकीय प्रवृत्तियों का विस्तार विदेश के बाहर फैलाती है । जिससे विदेश के बाजारों में अपनी शान द्वारा स्थानिक बाजार की व्यूह रचनाओं का भी उपयोग करते हुए दिखाई देते है । ऐसा साहस अर्थात् बहुराष्ट्रीय साहस ।
- ट्रान्सनेशनल साहस समग्र विश्व में उत्पादन, विक्रय, निवेश और अन्य धन्धाकीय प्रवृत्तियाँ करते है । ये ऐसे संकलित साहस है जो कि समग्र विश्व की साधन सम्पत्तियों का उपयोग करके विश्व के बाजारों में से आय/लाभ प्राप्त करते है ।