प्राथमिक सूचना द्वारा प्राप्त की गई सूचना को जब दूसरा व्यक्ति उपयोग में लेता है तब उसके लिए वह सूचना गौण सूचना बनती है । प्राथमिक सूचना प्राप्त करने में समय, शक्ति और धन अधिक प्रमाण में खर्च होता है, सूचना प्रथम बार प्राप्त की जाती है इसलिए सूचना अव्यवस्थित स्वरूप में होती है । जिससे उसे संक्षिप्त स्वरूप देना पड़ता है और वर्गीकरण सारणीयन की रचना करनी पड़ती है। उसके बाद उपयोग में ले सकते है। इन सभी प्रक्रिया के पीछे अधिक समय देना पड़ता है । जबकि, गौण सूचना व्यवस्थित रूप से संक्षिप्त में प्रस्तुत की गई सूचना है । जिसके अभ्यास के लिए साधारण परिवर्तन के साथ उपयोग में ले सकते है इससे समय, शक्ति और धन की बचत होती है ।
गौण सूचना के प्राप्तिस्थान निम्नलिखित है :
- सरकारी संस्था के प्रकाशनों
- अर्धसरकारी संस्था के प्रकाशनों
- अन्तर्राष्ट्रीय संस्था के प्रकाशनों
- व्यापारिक संघों के प्रकाशनों
- पत्र-पत्रिकाएँ
- स्थानीय स्वराज की संस्थाएँ एवं स्वायत्त शैक्षणिक संस्थाओं के अभिलेख
- अप्रकाशित स्रोत
- अनुसंधान संस्थाओं के प्रकाशन इत्यादि से गौण सूचना प्राप्त होती है ।