प्राचीन समय में ही आंकडाशास्त्र के क्षेत्र में भारत का योगदान महत्त्वपूर्ण रहा है । मौर्य साम्राज्य (ई.स. पूर्व 321-296) के समय दौरान कौटिल्य रचित अर्थशास्त्र में गाँव और नगरों में हुए कृषि सम्बन्धी, जनसंख्या सम्बन्धी सर्वेक्षण के उल्लेख मिलते है। मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल (सन् 1596-97 में अबुल फझल द्वारा रचित आइने अकबरी मे भी सरकार की प्रशासकीय व राष्ट्रीय सेवाओं के बीच संकलन हेतु उपयोग में ले जानेवाली आंकडाकीय पद्धतियों का उल्लेख स्पष्ट दिखाई देता है ।
18वीं शताब्दी तक आंकडाशास्त्र का उपयोग राज्यों द्वारा सूचना एकत्रित करने के लिए होता था । संभालनाशास्त्र के प्रारंभिक परिणाम 17वी और 18वी शताब्दि में लप्लास और गोस द्वारा प्राप्त किया था ।
19वीं शताब्दि के अंत में और 20वी शताब्दि के प्रारंभ में आंकडाशास्त्र के आधुनिक पहलू का प्रारंभ हुआ था । गेल्टन और कार्लपियर्सन द्वारा गांणितीय आंकडाशास्त्र का उपयोग विज्ञान, औद्योगिक और राजनीति में किया था ।
भारत के प्रख्यात अंकशास्त्री श्री पी. सी. महालनोबिस का आधुनिक आंकडाशास्त्र के प्रसार व विकास में अमूल्य योगदान है। उनके द्वारा सन् 1931 में कोलकाता में स्थापित भारतीय आंकडाशास्त्र संस्थान (Indian Statistical Institute) की स्थापना की । वह एक उच्च कोटि की संस्था गिनी जाती है ।
आधुनिक आंकडाशास्त्र का विकास तीन चरणों में हुआ है, जिसका बीजारोपण राजनीतिज्ञों द्वारा और पौधों का पालनपोषण गणितज्ञों द्वारा हुआ जिससे उसके फलों एवं फूलों की प्राप्ति विज्ञान व वाणिज्य की अलग अलग शाखाओं में से हुई।
आधुनिक युग में आंकडाशास्त्र का एक व्यवहारपरत एवं प्रायोजित विषय के रूप में स्थान प्राप्त हुआ है, तदुपरांत सांख्यिकी के अध्ययन का स्थान वैज्ञानिक पद्धति के एक हिस्से के रूप में भी उतना ही महत्त्व का है।
सन् 1950 में महालनोबिस द्वारा प्रस्तुत किया गया न्यादर्श बोध (National Sample Survey) को सरकार द्वारा मान्य रखा गया । अन्य संस्था भारतीय कृषि विषयक आंकडाशास्त्र संशोधन संस्था (Indian Agriculture Statistics Research Institute – IASRI) का भी आंकडाशास्त्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है । कोष्टन और काउटन के मतानुसार आंकडाशास्त्र की परिभाषा – “आंकडाशास्त्र यह विज्ञान है जो आंकड़ाकीय सूचना का एकत्रीकरण, पृथक्करण और अर्थघटन करता है ।” आधुनिक समय में आंकडाशास्त्र की उपयोगिता की अवगणना नहीं की जा सकती ।