मनुष्य एक बुद्धिमान और सामाजिक प्राणी है। वह समाज में अपने कर्तव्यों को पूरा करने हेतु इधर-उधर आता-जाता रहता है। वह अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अनेक स्थानों पर प्रतिक्षण यात्रा करता है। वह एक कल्पनाशील प्राणी है। वह नई-नई कल्पनाएं करता है। वह किसी एक स्थान पर रहते हुए अपने मन के पँखों पर सवार होकर अनेक स्थानों की यात्राएं करता है। वह घर बैठे-बैठे विदेशों तक की यात्राएं कर लेता है। इतना ही मनुष्य कल्पना के बलबूते विश्व के कोने-कोने में यात्राएं करता रहता है। वह कभी धरा पर तो कभी आकाश में यात्राएं करता है।