हामिद ने अपनी दादी अमीना से कहा कि रोटियाँ पकाते समय तुम्हारी उँगलियाँ तवे से जल जाती थीं, इसलिए मैं चिमटा लाया हूँ। यह सुनकर अमीना का क्रोध स्नेह में बदल गया। बच्चे का इतना त्याग, सद्भाव और विवेक देखकर वह चकित रह गई। उसे यह सोचकर आश्चर्य हुआ कि दूसरे बच्चों को खिलौने खरीदते और मिठाइयाँ खाते देखकर भी यह अपने मन पर काबू कैसे रख सका? अपने प्रति पोते का यह स्नेह देखकर वह गद्गद हो उठी। वात्सल्य के उसी आवेश में अमीना ने दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ दीं।