‘सूखी डाली’ शीर्षक एकांकी अश्क जी की एक सोद्देश्य रचना है। इस एकांकी का मूल उद्देश्य संयुक्त परिवार प्रणाली का समर्थन करना है। आज का शिक्षित युवक अपने अहं की तुष्टि के लिए अपनी खिचड़ी अलग पकाना चाहता है। वह नहीं जानता कि मिल-जुल कर रहने का अपना आनंद है। इससे परिवार का गौरव और उसकी शक्ति बढ़ती है। एकता में बल है। लेखक ने वट वृक्ष के प्रतीक के माध्यम से बताया है कि दादा मूलराज जो परिवार के वरिष्ठ सदस्य हैं, उनकी स्थिति वट वृक्ष के समान है तथा अन्य सदस्य बेटे, बहुएं, पोते, पोतियां आदि उस वृक्ष की शाखाएं और पत्ते हैं। जिस प्रकार वृक्ष की शोभा उसकी शाखाओं और उसके पत्तों से है, उसी प्रकार परिवार की शोभा आपस में मिल-जुल कर रहने में है। जिस प्रकार वट वृक्ष अपने सशक्त तने और शाखाओं के बल पर आंधी-तूफ़ान का सामना करने में सक्षम बना रहता है, उसी प्रकार संयुक्त परिवार भी हर प्रकार के पारिवारिक संकट का सामना करने में समर्थ होता है।