कुछ आपदा मनुष्य प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं उत्पन्न करता है। यह काम मनुष्य जानबूझ कर या अनजाने में करता है। इन आपदाओं को मानवीय आपदा कहते हैं। बम धमाके तथा आतंकी हमले और बांधों का टूटना मानवीय आपदाओं के उदाहरण हैं। दो मानवीय आपदाओं के ‘आपदा प्रबन्धन’ का वर्णन इस प्रकार हैं-
1. बम धमाके आतंकी हमले- बम देश की बाहरी शत्रु से रक्षा के लिए बनाये गये थे। परन्तु कुछ लोग इनका प्रयोग देश में तबाही मचाने के लिए करते हैं। कई आतंकवादी गुट देश में अशान्ति फैलाने का काम करते हैं। फलस्वरूप कई निर्दोष लोग मारे जाते हैं। अन्य प्रभावित लोगों को भी बम धमाकों तथा आतंकी हमलों के कारण तरह-तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं। ये हमले देश के विकास में भी बाधा डालते हैं। 11 सितम्बर, 2001 को अमेरिका के शहरों पर हुए आतंकी हमलों में हज़ारों लोग मारे गए थे और भारी आर्थिक क्षति हुई थी।
बचाव-
- सरकारों को राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बातचीत द्वारा इन हमलों से निपटने की योजना बनानी चहिए।
- लावारिस पड़ी किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाना चाहिए। हो सकता है कि इनमें बम हो। इनकी सूचना तुरन्त पुलिस को देनी चाहिए।
- बम धमाकों या आतंकी हमले के समय अफरा-तफ़री तथा भय का वातावरण नहीं बनने देना चाहिए, बल्कि र्य से काम लेना चाहिए।
- पुलिस तथा गुप्तचर विभाग को आतंकी गतिविधियों पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए। भीड़ भरे स्थानों पर पर्याप्त कसी की ज़रूरत होती है।
- पकड़े गए अपराधियों को कानून के अनुसार कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
- आतंकी हमलों में घायल लोगों को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुँचाना चाहिए।
- कानून तथा सुरक्षा की व्यवस्था बनाये रखनी चाहिए।
2. बांधों का टूटना- बांधों में बहुत अधिक पानी इकट्ठा रहता है। इसलिए किसी बांध के टूट जाने पर बाढ़ से भी खतरनाक स्थिति पैदा हो जाती है। यदि बांध बहुत बड़ा हो तो संकट और अधिक बढ़ जाता है। मानव जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। पशु तथा खड़ी फ़सलें बह जाती हैं। इस आपदा से बचाव के लिए बाढ़ों से बचाव वाले उपाय करने चाहिएँ। सरकार को लोगों के जान-माल की सुरक्षा के लिए विशेष प्रबन्ध करने चाहिए।