अंग्रेजों के आने से पूर्व भारत में प्रारम्भिक शिक्षा मस्जिदों, मन्दिरों तथा गुरुद्वारों में दी जाती थी।
- मस्जिद के स्कूलों को मकतब कहते थे तथा मन्दिरों और गुरुद्वारों के स्कूलों का नाम पाठशाला था। ये सारे धार्मिक स्कूल थे, क्योंकि इनमें अपने-अपने धर्म की पुस्तकें पढ़ाई जाती थीं तथा भाषा भी अपने-अपने धर्म की होती थी।
- मकतब में उर्दू, फ़ारसी और अरबी, गुरुद्वारे में गुरुमुखी अक्षरों में पंजाबी तथा मन्दिर की पाठशाला में हिन्दी और संस्कृत में शिक्षा दी जाती थी। शिक्षा देने वाले भी धार्मिक नेता होते थे।
- उच्च शिक्षा के लिये बड़े स्कूल होते थे। ये साधारणतया धार्मिक स्थानों से पृथक् होते थे। इनमें पढ़ाने वाले विद्वान् लोग होते थे।
- जिन स्कूलों में अरबी, फ़ारसी पढ़ाई जाती थी, उनको मदरसे कहा जाता था। यहां सब धर्मों के विद्यार्थी शिक्षा पा सकते थे।
- हिन्दी तथा संस्कृत की उच्च शिक्षा के लिये बनारस जैसे बड़े-बड़े नगरों में प्रबन्ध था। (6) इन स्कूलों के अतिरिक्त भारत में व्यापार तथा दस्तकारी के कामों में प्रशिक्षण के लिए विशेष स्कूल होते थे जिनको महाजनी स्कूल कहा जाता था।